क्या राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के खेल के तार मुंबई और महाराष्ट्र से जुड़े हैं? महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की मानें तो कुछ ऐसा ही हुआ है। और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। कर्नाटक में भी जेडीएस, कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिराने की प्लानिंग मुंबई में ही की गयी थी। उस समय प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी लिहाजा ख़बर बाहर नहीं निकल सकी। तब इस सारे ऑपरेशन को कड़ी सुरक्षा के दायरे में अंजाम दिया गया था।
महाराष्ट्र कांग्रेस का कहना है कि राजस्थान में विधायकों की ख़रीद-फरोख्त के लिए चंदा मुंबई से इकट्ठा किया गया है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सचिन सावंत का दावा है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख को भी इस बारे में विभाग के सूत्रों से कुछ जानकारी मिली है। गृहमंत्री ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले में ध्यान देंगे।
सावंत ने कहा कि महाराष्ट्र के बीजेपी नेताओं ने करीब पांच सौ करोड़ की रकम बिल्डर्स और व्यवसायियों से इकट्ठा की है। यह पैसा इकट्ठा करने के लिए केंद्र सरकार के अधीन आने वाली इनकम टैक्स और ईडी जैसी संस्थाओं के दबाव का प्रयोग किया गया है।
सावंत ने कहा कि कर्नाटक में भी कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिराने तथा विधायकों की ख़रीद-फरोख्त के लिए रकम मुंबई और महाराष्ट्र से ही इकट्ठा की गयी थी। कांग्रेस के बागी विधायक मुंबई में एक होटल में ठहरे थे और उस होटल के अंदर तथा बाहर पुलिस की सुरक्षा लगाई गयी थी।
सचिन सावंत का कहना है कि राजस्थान में एसओजी को जो टेप मिले हैं उससे यह सत्य सामने आ रहा है कि किस तरह से विधायकों की ख़रीद-फरोख्त की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र में इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त रहने वाले लोगों का पता लगाने की ज़रूरत है ताकि ऐसी कारगुजारियों पर लगाम लगाई जा सके।
सचिन सावंत के इन आरोपों में दम हो सकता है। कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार को गिराने के समय बाग़ी विधायकों का मुंबई के एक होटल में ठहरना और वहां के कांग्रेस के कद्दावर नेता तथा वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार का उनसे मिलने के लिए होटल में पहुंचने के दौरान हुआ ड्रामा सभी ने देखा था।
शिवकुमार को रोका था पुलिस ने
डी. के. शिवकुमार जेडीएस विधायक शिवालिंगे गौड़ा के साथ बाग़ी विधायकों से मिलने मुंबई के एक पांच सितारा रेनिसन्स होटल में पहुंच गए थे। लेकिन जब वह होटल में ठहरे हुए विधायकों से मिलने गए तो होटल के गेट पर पुलिस ने उनको रोक दिया था।पुलिस ने उन्हें विधायकों से यह कहकर मिलने नहीं दिया था कि होटल में ठहरे हुए विधायकों ने शिवकुमार के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है। यह शिकायत शिवकुमार से उनकी जान को खतरे की थी। बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने होटल के बाहर शिवकुमार 'वापस जाओ-वापस जाओ' के नारे भी लगाए थे। जबकि शिवकुमार ने कहा था कि उन्होंने होटल में एक कमरा बुक किया है और उन्हें उसमें जाना है।
दरअसल, आज जो हरियाणा के मानेसर स्थित रिजॉर्ट में हो रहा है, वह डी. के. शिवकुमार वाले एपिसोड की याद को ताजा कर देता है। इस रिजॉर्ट में कांग्रेस का कोई नेता नहीं गया बल्कि पुलिस गयी थी और उसे भी रोक दिया गया। हालांकि बाद में तनातनी के बाद राजस्थान पुलिस को जाने दिया गया।
पुलिस का बेजा इस्तेमाल
इस तरह की घटनाएं बहुत से सवाल खड़े करती हैं। यानी जिस प्रदेश में जिस पार्टी की सत्ता है, वह अपने हिसाब से पुलिस का इस्तेमाल करे? रिजॉर्ट में पायलट ग्रुप के विधायकों के रहने की बात जब कांग्रेस की तरफ़ से की गयी तो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि ये रिजॉर्ट और होटल्स हरियाणा में बने हैं और कोई भी पर्यटक उनमें आकर रुक सकता है।
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