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मुकेश अंबानी एंटीलिया केस: चोरी ही नहीं हुई थी स्कॉर्पियो कार

मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर से विस्फोटक मिलने के मामले में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, जिस स्कॉर्पियो कार से 25 फरवरी की रात को विस्फोटक बरामद हुए थे वो कार क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के पूर्व हेड सचिन वाजे के ही पास थी। एनआईए के सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि कर दी है कि स्कॉर्पियो कार कभी चोरी ही नहीं हुई थी। सचिन वाजे इन दिनों एनआईए की गिरफ्त में हैं। 

दरअसल, कार के मालिक मनसुख हिरेन 18 फरवरी को किसी काम से ठाणे से मुंबई आ रहे थे। तभी अचानक उनकी कार का स्टेयरिंग विक्रोली हाईवे के पास जाम हो गया। मनसुख अपनी कार को साइड में हाईवे पर ही लगाकर ओला कार के जरिए मुंबई के लिए निकल पड़े। 

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ओला ड्राइवर से पूछताछ 

ओला कार के ड्राइवर ने एनआईए को यह भी बताया कि पहले तो मनसुख ने विक्रोली से क्रॉफर्ड मार्केट के लिए गाड़ी बुक की थी लेकिन रास्ते में उन्होंने अपना प्लान बदल दिया और गाड़ी सीएसटी स्टेशन पर ले जाने को कहा। इस बीच मनसुख लगातार किसी व्यक्ति से फोन पर सर कह कर बात कर रहे थे और कार की चाबी उस शख़्स को देने की बात चल रही थी। इसका खुलासा ओला ड्राइवर ने एनआईए की पूछताछ में किया है। क्रॉफर्ड मार्केट में ही मुंबई क्राइम ब्रांच का दफ्तर है जिसमें सचिन वाजे बैठते थे।

mukesh ambani explosive car case sachin vaje questioned - Satya Hindi

ओरिजनल चाबी से खोली गई कार

एनआईए को जांच में यह भी पता चला है कि विक्रोली में खड़ी स्कॉर्पियो को उसकी ओरिजनल चाबी से ही खोला गया था। उसके बाद कार को खुद सचिन वाजे ही ड्राइव करके ठाणे स्थित अपने घर ले गए थे। क्योंकि सचिन वाजे की सोसाइटी में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं इसलिए उन्हें इस बात का अंदाजा था कि यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई होगी। 

एपीआई काज़ी भी शामिल?

इसलिए सचिन वाजे ने क्राइम ब्रांच के ही अपने जूनियर अफ़सर एपीआई रियाजुद्दीन काज़ी को अपनी सोसाइटी के सीसीटीवी फुटेज को लेने की जिम्मेदारी दी। काज़ी ने वाजे की सोसाइटी को 27 फरवरी को एक चिट्ठी लिखी और मामले की जांच के बहाने सोसाइटी से सीसीटीवी के पूरे डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर को देने को कहा। इसके बाद सोसाइटी ने सीसीटीवी के तमाम रिकॉर्ड काज़ी को दे दिए।

एनआईए की शुरुआती जांच में पता चला है कि काज़ी ने इमारत की सीसीटीवी फुटेज को नष्ट कर दिया है और सोसाइटी की डीवीआर को भी नहीं लौटाया है। इससे इस केस में सचिन वाजे के साथ एपीआई काज़ी की भी मिलीभगत सामने आ रही है। 

एनआईए लगातार दो दिन से एपीआई काज़ी से पूछताछ कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार सचिन वाजे के अलावा इस पूरे मामले में और कौन-कौन लोग शामिल हैं।

उधर, मनसुख हिरेन मौत मामले की जांच कर रही महाराष्ट्र एटीएस भी 2 दिन पहले सचिन वाजे के घर पर पहुंची थी। एटीएस ने जब सोसाइटी से 25 फरवरी से 6 मार्च तक की सीसीटीवी फुटेज मांगी तो सोसाइटी ने एटीएस को बताया कि 27 फरवरी को उनकी सोसाइटी के सीसीटीवी डीवीआर को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के एपीआई रियाजुद्दीन ले गए हैं। जिससे एटीएस का भी शक सचिन वाजे पर और बढ़ गया है।

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एपीआई काज़ी ने वाजे की सोसाइटी को यह चिट्ठी लिखी थी।

पीपीई किट में थे वाजे?

एनआईए को इस केस में एक और लीड मिली है। जिस दिन स्कॉर्पियो कार को विस्फोटक के साथ अंबानी के घर के पास पार्क किया गया था, उसी रात को एक व्यक्ति पीपीई किट पहने हुए इस इलाके में घूमता हुआ नजर आया था। सीसीटीवी में दिख रहा वह शख्स स्कॉर्पियो कार के पास आकर रुक गया था। इससे एनआईए के अधिकारियों को अंदेशा है कि हो सकता है कि सचिन वाजे ही पीपीई किट पहनकर स्कॉर्पियो कार को देखने के लिए वहां पर गए हों। एनआईए इसकी भी जांच में जुटी हुई है।

एनआईए के एक सूत्र ने ‘सत्य हिंदी’ को बताया कि एपीआई काज़ी ने वही किया जो उसे सचिन वाजे ने करने को कहा था। जिस रात स्कॉर्पियो कार को अंबानी के घर के पास विस्फोटक के साथ खड़ा किया गया था एपीआई काज़ी पूरी रात सचिन वाजे के संपर्क में थे। एनआईए के सूत्र ने यह भी कहा कि इस मामले में काजी से पूछताछ चल रही है और जल्द ही उसकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।

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क्यों बनवाई गई नंबर प्लेट?

जिस समय स्कॉर्पियो कार से जिलेटिन की छड़ें बरामद हुई थीं उस समय उस कार से एक धमकी भरी चिट्ठी और कुछ फर्जी नंबर प्लेट भी मिली थीं। एनआईए जब ये नंबर प्लेट बनाने वाले दुकानदार के पास गई तो उस दुकानदार ने बताया कि इन नंबर प्लेटों को कुछ दिन पहले ही सचिन वाजे ने बनवाया था। इससे अब यह साबित हो गया है कि सचिन वाजे काफी दिनों से इस घटना को अंजाम देने में लगे हुए थे।

इस मामले में भले ही हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं लेकिन अभी तक एनआईए इस बात का पता लगाने में नाकाम रही है कि आखिरकार मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में विस्फोटक रखने के पीछे की ठोस वजह क्या थी।

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सोमदत्त शर्मा
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