महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग यानी एमपीएससी की परीक्षा अब 21 मार्च को होगी। पहले इसे कई बार स्थगित किया गया था। परीक्षा के स्थगित होने के बाद महाराष्ट्र में मचे बवाल के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर गुरुवार को ही कहा था कि यह परीक्षा स्थगित नहीं की जाएगी और इसे 22 मार्च से पहले कराया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि परीक्षा की तारीख़ शुक्रवार को घोषित की जाएगी। मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए इस आश्वासन के बाद परीक्षा स्थगित किये जाने के विरोध में महाराष्ट्र में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया।
महाराष्ट्र में कोरोना की बढ़ती स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने 14 मार्च को होने वाली महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा को स्थगित कर दिया था। परीक्षा के रद्द होने से छात्रों का ग़ुस्सा फूट पड़ा और महाराष्ट्र के कई इलाक़ों में छात्रों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया था। इससे पहले यह परीक्षा पिछले साल अप्रैल में होनी थी लेकिन कोरोना के प्रकोप के चलते इस परीक्षा को अक्टूबर 2020 तक के लिए टाल दिया था।
सरकार ने अक्टूबर में कोरोना की स्थिति की फिर समीक्षा की और कुछ छात्रों के विरोध के चलते इस परीक्षा को लगातार दूसरी बार रद्द कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र के कई इलाक़ों में छात्रों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया। ज़्यादातर छात्रों की मांग थी कि जब आईआईटी, मेडिकल और यूपीएससी की परीक्षाएँ आयोजित हो रही हैं, स्टेडियम में मैच खेले जा रहे हैं, राजनीतिक रैलियाँ हो रही हैं तो फिर कोरोना का बहाना बनाकर महाराष्ट्र सरकार एमपीएससी की इस परीक्षा को बार-बार क्यों रद्द कर रही है। 2 साल तक लगातार परीक्षा नहीं होने के चलते लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग हर साल ग्रुप ए, बी और सी पदों के लिए भर्ती परीक्षा का आयोजन करता है। सरकार के राहत और पुनर्वास विभाग ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है और कहा कि वे राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और जल्द ही नई तारीख़ का ऐलान किया जाएगा।
नहीं थी परीक्षा रद्द होने की जानकारी: मंत्री
महाराष्ट्र सरकार के राहत और पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टीवार ने पहले यह कहकर उस समय खलबली मचा दी थी कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि एमपीएससी की परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। वडेट्टीवार ने कहा कि इस परीक्षा को रद्द करने का फ़ैसला सचिव स्तर पर किया गया। यही कारण रहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को हस्तक्षेप करना पड़ा।
छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को सरकार में शामिल कांग्रेस का भी समर्थन मिलने लगा था। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब परीक्षा होने में दो-तीन दिन ही बाक़ी रह गए थे तो इस समय पर परीक्षा रद्द करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।
राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी छात्रों के समर्थन में आ गई। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे ने कहा कि सरकार अगर ऐसे ही परीक्षा बार-बार रद्द करती रहेगी तो उनको छात्रों के समर्थन में सड़कों पर उतरना होगा। बीजेपी नेता राम कदम ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार के पास लेट नाइट पार्टी कराने के लिए तो समय है लेकिन छात्रों की परीक्षा के लिए ना तो संसाधन हैं और ना ही कोई योजना बनाई है।
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