महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने की सिफारिश केंद्र सरकार से करने की जो बात लिखी गयी थी, उसका असर अगले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा में देखने को मिला। मोदी ने सावरकर के संस्कारों की वकालत करते हुए कहा कि विरोधी दल वर्षों से सावरकार को भारत रत्न देने का विरोध जताते रहे हैं।
महाराष्ट्र बीजेपी का घोषणापत्र जारी किए जाने के बाद से ही यह प्रश्न एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या देश में राष्ट्रवाद की नयी परिभाषा लिखी जा रही है या अंग्रेजों से आज़ादी के लिए देश में गांधी और नेहरू ने जो राष्ट्रवाद जगाया था वह बीते कल की बात हो गया है? महाराष्ट्र की एक चुनावी सभा के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को सुनकर तो ऐसा ही लगता है। इस सभा में उन्होंने कहा :
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राष्ट्रवाद को हमने राष्ट्र निर्माण के मूल में रखा, ये सावरकर के संस्कार हैं। विरोधी दलों ने दशकों तक सावरकर को भारत रत्न से वंचित रखा है और उन को गालियाँ दे रहे हैं।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
मोदी ने बुधवार को आकोला, जलाना और पनवेल में जनसभाएँ कीं। उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि जिन लोगों ने आंबेडकर का अपमान किया और उनको दशकों तक भारत रत्न से वंचित रखा, वही लोग आज सावरकर को गालियाँ देकर उनका अपमान कर रहे हैं।
क्या है संकल्प पत्र में?
बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जो संकल्प पत्र जारी किया, उसमें एक बात यह भी लिखी गयी है की वह विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न का सम्मान देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेजेगी। सावरकर को भारत रत्न देने की बात नई नहीं है, लेकिन बीजेपी ने इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में स्थान देकर एक चुनावी कार्ड खेलने का प्रयास किया है।यह संकल्प पत्र मंगलवार को ही जारी हुआ था और बुधवार की सभा में जिस तरह प्रधानमंत्री का इस पर बयान आया, उससे यह संकेत जाते हैं कि यह वोटों के ध्रुवीकरण का खेल है।
संकल्प पत्र में भारत रत्न के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के नामों की भी सिफारिश करने की बात कही गयी है। बीजेपी के घोषणा पत्र की इस सिफारिश को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस की सांसद और शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले का भी बयान आया है।
सुप्रिया सुले ने कहा कि फुले को भारत रत्न दिए जाने की माँग उन्होंने तीन साल पहले संसद में उठायी थी। बीजेपी सरकार तब क्या सो रही थी? उन्होंने इसे एक चुनावी स्टंट करार दिया है।
निशाने पर प्रफुल पटेल भी
प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से प्रफुल पटेल पर भी निशाना साधा है। मोदी ने कहा कि एक समय कुछ लोगों ने महाराष्ट्र को खून के रंग से रंग दिया था। आज रोज नए खुलासे हो रहे हैं कि खून की नदियाँ बहाने वालों के साथ नेताओं के कैसे रिश्ते थे। नेताओं को मालूम था कि उनके कारनामे कभी न कभी बाहर आएँगे और देश की जनता को जवाब देना पड़ेगा। इस बौखलाहट में पिछले कुछ महीनों से जाँच एजेंसियों को बदनाम करना शुरू कर दिया गया है। अफसरों पर भी कई तरह के आरोप लगाए गए।कश्मीर को भुनाएगी महाराष्ट्र में?
मोदी ने अनुच्छेद 370 को लेकर भी नए अंदाज में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं पर निशाना साधा। मोदी ने कहा, 'आज विरोधियों की राजनीतिक चालें चौपट होती जा रही हैं। अनुच्छेद 370 राष्ट्र के चरणों में न्यौछावर हो गया है। शिवाजी की धरती पर आजकल ऐसी बातें फैलाई जा रही हैं कि महाराष्ट्र के चुनाव में जम्मू-कश्मीर के 370 का क्या लेना-देना?'
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मैं कहना चाहता हूं कि कान खोल करके सुन लो, कश्मीर भी और वहाँ के लोग भी माँ भारती की संतान हैं। महाराष्ट्र का कोई भी ज़िला ऐसा नहीं होगा, जहाँ से गए वीर सपूतों ने जम्मू-कश्मीर के लिए त्याग और बलिदान नहीं दिया होगा।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
मोदी ने इसके आगे कहा, 'यहाँ से जाने वाला हर जवान कहता है कि मैं शिवाजी महाराज की धरती से आया हूँ। विरोधियों को शर्म आनी चाहिए। जनता आपके बयानों का चुन-चुन कर हिसाब लेगी।'
मोदी के भाषण से यह साफ़ हो गया है कि बीजेपी सावरकर और अनुच्छेद 370, दोनों को ही भुनाने की कोशिश कर रही है। सावरकर के मुद्दे को जिस तरह प्रधानमंत्री चुनावी सभा में ख़ुद उठा रहे हैं, उससे यह भी साफ़ है कि घोषणापत्र में इस मुद्दे को जोड़ना मामूली बात नहीं है। बीजेपी इस मुद्दे को ज़बरदस्त ढंग से उठा कर महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है। केंद्र सरकार वाकई सावरकर को भारत रत्न देगी या यह सिर्फ़ चुनावी चाल है, यह तो बात में पता चल सकेगा, पर इतना साफ़ है कि इस मुद्दे पर बीजेपी अभी और आक्रामक होगी।
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