जनता के अच्छे दिन भले ही नहीं आये हों और किसानों की उपज के दाम दोगुना न हुए हों, देश और प्रदेश की जीडीपी का ग्राफ़ भले ही घटकर नीचे आ गया हो लेकिन सरकार के मंत्रियों की संपत्ति कई गुना बढ़ गयी है। या यूं कह लें कि प्रदेश में 16 हज़ार से ज्यादा किसानों ने भले ही आत्महत्या कर ली हो, पिछले तीन साल से प्रदेश के अधिकाँश जिलों में सूखा पड़ा हो लेकिन महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के मंत्रियों के पिछले पांच साल बहुत मजे के रहे।
सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि किसान खेती में हो रहे नुक़सान और उसकी वजह से बढ़ते कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर रहा है लेकिन अधिकांश नेताओं ने अपनी संपत्ति में वृद्धि का कारण खेती से होने वाली आय को बताया है।
कृषि आय पर आयकर की छूट रहती है इसलिए इस सुविधा के सबसे बड़े लाभार्थी भी हमारे नेता ही बन रहे हैं। और शायद यही वजह हो सकती है कि नेताओं को बाज़ार में छाई मंदी की बातों पर विश्वास नहीं होता है और वे ‘अच्छे दिन आ गए हैं’ की बातें करते हैं। कोई सवाल खड़ा करता है तो कहते हैं कि जब सिनेमा की टिकटें करोड़ों रुपयों की बिक जा रही हैं तब मंदी कैसी!
बबनराव, पंकजा मुंडे की संपत्ति बढ़ी
प्रदेश के पेयजल आपूर्ति मंत्री बबनराव लोणीकर की संपत्ति में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। पिछले पांच सालों में उनकी संपत्ति में 27 करोड़ 10 लाख रुपये की वृद्धि दर्ज हुई है। साल 2014 में उनकी घोषित संपत्ति 2 करोड़ 30 लाख थी, जो 2019 में बढ़कर 29 करोड़ 40 लाख हो गयी। इसके बाद दूसरा नंबर बीजेपी के दिग्गज नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे का आता है। पंकजा प्रदेश की महिला व बालविकास मंत्री हैं और पांच सालों में उनकी संपत्ति में 21 करोड़ 70 लाख की वृद्धि हुई है। 2014 में पंकजा की कुल घोषित संपत्ति 13 करोड़ 70 लाख रुपये की थी जो 2019 में बढ़कर 35 करोड़ 40 लाख हो गयी।
सरकार में मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल की संपत्ति में इन पांच सालों में क़रीब 10 गुणा की वृद्धि हुई है। साल 2014 में जब उन्होंने नामांकन भरा था तब उनकी संपत्ति 3 करोड़ 2 लाख रुपये थी जो 2019 के चुनावी हलफ़नामे के अनुसार बढ़कर 29 करोड़ 3 लाख हो गयी है।
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