महाराष्ट्र की राजनीति पल-पल बदलती जा रही है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अब बागी विधायकों पर नकेल कसने की शुरुआत कर दी है। शिवसेना के गटनेता अजय चौधरी और दूसरे अन्य नेताओं ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष से मिलकर एकनाथ शिंदे समेत 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है।
शिवसेना के एक शिष्टमंडल के साथ सांसद अरविंद सावंत और विधायक सुनील प्रभु भी मौजूद थे। अरविंद सावंत का कहना है कि इन सभी विधायकों को शिवसेना की आधिकारिक मीटिंग में हाजिर होने के लिए कहा था लेकिन यह लोग उपस्थित नहीं हुए थे। जिसके कारण पार्टी ने इन्हें विधायक पद से बर्खास्त करने की मांग की है।
हालांकि विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।
अजय चौधरी ने विधानसभा उपाध्यक्ष को बताया है कि बागी विधायक एकनाथ शिंदे समेत इन 12 विधायकों को शिवसेना ने बैठक में हाजिर होने के लिए कहा था लेकिन इनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। जिसके बाद पार्टी की तरफ से इनके ऊपर कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है।
कौन हैं 12 विधायक
जिन 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है उनमें एकनाथ शिंदे, तानाजी सावंत, संदीपान भुमरे, संजय शिरसाट, अब्दुल सत्तार, भरत गोगावले, प्रकाश सुर्वे, अनिल बाबर, बालाजी किनीकर, यामिनी जाधव, लता सोनावणे और महेश शिंदे शामिल हैं। शिवसेना की तरफ से इन सभी बागी विधायकों की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग विधानसभा उपाध्यक्ष से की गई है।
पत्रकारों से बातचीत में शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि इन सभी विधायकों को बैठक में शामिल होने के लिए चिट्ठी भी लिखी गई थी लेकिन ये शामिल नहीं हुए।
शिंदे बोले- हमें डराओ मत
जैसे ही शिवसेना ने 12 बागी विधायकों पर कार्रवाई करने की मांग की वैसे ही एकनाथ शिंदे ने ट्वीट करके इस पूरी कार्रवाई को ही अवैध बता डाला। शिंदे ने ट्वीट करके कहा कि व्हिप विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ही लागू होता है पार्टी की किसी बैठक में यह नियम लागू नहीं होता। इसलिए हमें डराने की जरूरत नहीं है। हम नियम और कायदा जानते हैं और डरने वाले नहीं हैं। हम बाला साहेब ठाकरे के सच्चे शिवसैनिक हैं जो कभी डरते नहीं हैं।
ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 42 विधायकों का समर्थन है तो फिर शिवसेना ने सिर्फ 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग क्यों की है। कहीं शिवसेना को यह डर तो नहीं है कि अगर उसने सभी 42 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की तो ठाकरे सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा कम हो जाएगा और ठाकरे सरकार खुद अल्पमत में आ जाती।
शिवसेना की इस मांग से यह भी पता चलता है कि उद्धव ठाकरे अभी भी अपनी सरकार को बचाने में जी-जान से जुटे हुए हैं।
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