मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुंबई के एक बड़े बिल्डर श्याम सुंदर अग्रवाल ने परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ हफ़्ता वसूली का मुक़दमा मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया है। मुंबई पुलिस सूत्रों का कहना है कि परमबीर सिंह ने डीसीपी अकबर पठान के साथ मिलकर श्याम सुंदर अग्रवाल से एक केस का निपटारा करने के लिए 15 करोड़ रुपये की भारी भरकम रक़म मांगी थी। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
दरअसल, मामला साल 2016 का है। बिल्डर श्याम सुंदर अग्रवाल महाराष्ट्र सरकार के अर्बन लैंड सीलिंग का काम कर रहे थे जिसमें उनके ऊपर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। नवंबर 2016 में ठाणे क्राइम ब्रांच ने अर्बन लैंड सीलिंग में चल रहे घोटाले का पर्दाफाश किया था और श्याम सुंदर अग्रवाल की गिरफ्तारी हुई थी। उस समय ठाणे के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह थे। परमबीर सिंह ने इस मामले में श्याम सुंदर अग्रवाल को सलाखों के पीछे पहुँचाया था। इसी बीच साल 2018 में परमबीर सिंह का प्रमोशन एंटी करप्शन ब्यूरो में बतौर डीजी हो गया लेकिन श्याम सुंदर का मामला चलता रहा।
इसी बीच श्याम सुंदर जमानत पर बाहर भी आ गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि मीरा भायंदर की निर्दलीय विधायक गीता जैन के भाई सुनील जैन से श्याम सुंदर की मुलाक़ात हुई। सुनील जैन ने परमबीर सिंह और तत्कालीन डीसीपी अकबर पठान से मिलकर इस केस को रफा दफा करने के लिए संपर्क किया। आख़िर में बात 15 करोड़ रुपये में तय हुई। पुलिस का कहना है कि केस को हल्का करने के लिए कुछ पैसों का लेनदेन भी किया गया था।
श्याम सुंदर अग्रवाल ने मुंबई पुलिस को दिए बयान में बताया है कि अकबर पठान और दूसरे पुलिस अधिकारियों ने पिछले साल के आख़िर में उस पर पैसा देने का काफ़ी दबाव बनाया था। इसी बीच इस साल परमबीर सिंह को पुलिस कमिश्नर के पद से हटा दिया गया।
श्याम सुंदर अग्रवाल ने पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह, डीसीपी अकबर पठान और चार अन्य पुलिस वालों समेत 8 लोगों के ख़िलाफ़ हफ्ता उगाही समेत कई धाराओं में मामला दर्ज करा दिया।
पुलिस अब इस मामले की छानबीन कर रही है कि परमबीर सिंह का इस पूरे केस में क्या रोल है।
बता दें कि एक हफ्ते पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले की एन्टी करप्शन ब्यूरो से जाँच कराने का आदेश दिया था। महाराष्ट्र पुलिस के दो पुलिस इंस्पेक्टरों ने शिकायत की थी कि साल 2019 में परमबीर सिंह ने उन्हें एक छापेमारी के दौरान सस्पेंड कर दिया था। दोनों में से एक पुलिस इंस्पेक्टर अनूप डांगे ने आरोप लगाया था कि दरअसल परमबीर आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे थे।
बाद में अनूप डांगे ने सरकार को बताया कि परमबीर सिंह ने उन्हें वापस पुलिस फोर्स में लेने के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत मांगी थी। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने फ़ैसला किया कि अनूप डांगे द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो से कराई जाएगी।
परमबीर सिंह ने उस समय अपनी एक चिट्ठी से तहलका मचा दिया था कि जब उन्होंने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए की उगाही का आरोप लगाया था। उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह का तबादला कर दिया था और इन्हीं आरोपों के बाद अनिल देशमुख को भी अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
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