महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे पर लगातार सवाल क्यों उठ रहे हैं? वोटिंग आंकड़ों में विसंगति आने के बाद अब चुनाव से पहले वोटरों के आँकड़ों पर भी गंभीर संदेह जताया जा रहा है। इसको लेकर कांग्रेस ने तो शुक्रवार को नये सिरे से चुनाव आयोग से शिकायत की है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को संबोधित एक पत्र को साझा करते हुए लिखा है, 'नाना पटोले, मुकुल वासनिक और रमेश चेन्निथला द्वारा चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने गंभीर मुद्दे उठाए हैं जिन पर सार्वजनिक रूप से चर्चा हो रही है। उन्होंने प्रासंगिक साक्ष्य पेश करने और निर्वाचन क्षेत्रवार मुद्दे उठाने के लिए चुनाव आयोग से व्यक्तिगत सुनवाई की मांग की है।' इसमें चुनाव से पहले पाँच महीनों में लाखों वोटर जोड़े जाने जैसे मुद्दों को उठाया गया है और चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए गए हैं।
Here is a memorandum just submitted to @ECISVEEP on the Maharashtra assembly elections by Shri @NANA_PATOLE, Shri @MukulWasnik, and Shri Ramesh @chennithala
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 29, 2024
They have raised serious issues which are being discussed in the public domain. They have asked the EC for an in-person… pic.twitter.com/K4zfx5tjhF
इससे एक दिन पहले कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने भी आँकड़े सामने रख महायुति की जीत पर सवालिया निशान लगाए। कांग्रेस के प्रवक्ता गुरदीप सप्पल ने महाराष्ट्र चुनाव को एक 'पहेली' के रूप में पेश किया और चुनावी आँकड़ों में विसंगतियाँ बताईं।
उन्होंने कहा है, '19 अक्टूबर, 2024 को एमवीए गठबंधन दलों ने भारत के चुनाव आयोग को लिखा था कि भाजपा बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में धोखाधड़ी कर रही है, जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एमवीए समर्थकों के 10,000 वोटों को हटाना शामिल है। यह भी बताया गया कि भाजपा अपने द्वारा काटे जा रहे 10,000 नामों को छिपाने के लिए 10,000 फर्जी मतदाताओं को जोड़ रही है।'
चुनाव को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सप्पल ने एक और तथ्य रखा है। उन्होंने कहा कि एमवीए ने चुनाव आयोग को यह भी बताया था कि भाजपा भी फर्जी तरीक़े से सूची में नए नाम जोड़ रही है।
सप्पल ने कहा है, 'लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पांच महीनों में महाराष्ट्र में कुल मतदाताओं की संख्या में 47 लाख की वृद्धि हुई! जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक पांच साल में महाराष्ट्र में केवल 37 लाख मतदाताओं की वृद्धि हुई है।'
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा गठबंधन की तीन मुख्य पार्टियों के वोटों में विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव के मुकाबले 67.7 लाख की वृद्धि हुई है। उन्होंने पूछा कि क्या 47 लाख नए मतदाताओं ने भाजपा के वोटों की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया?
Maharashtra Election Puzzle
— Gurdeep Singh Sappal (@gurdeepsappal) November 28, 2024
Fact One
On October 19, 2024, MVA alliance parties had written to the Election Commission of India that BJP is engaged in massive voter list fraud, which includes deletion of 10,000 votes of MVA supporters in each constituency.
It was also informed… pic.twitter.com/lscxsV4HAZ
कांग्रेस प्रवक्ता ने एक और तथ्य रखा है कि महिलाओं को लाड़की बहना योजना के तहत 1500 रुपये प्रति माह दिए जाने को भाजपा गठबंधन की जीत का प्रमुख कारक माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि लेकिन सर्वेक्षणों ने महायुति के लिए 2-3% प्रभाव की भविष्यवाणी की थी।
उन्होंने एक तथ्य एनसीपी के अजित पवार को लेकर भी रखा है और कहा है,
“
एनसीपी, अजित पवार को 58.1 लाख वोट मिले और उन्होंने 41 सीटें जीतीं। एनसीपी, शरद पवार को 72.8 लाख वोट मिले और उन्होंने 10 सीटें जीतीं! मजे की बात यह है कि एनसीपी के दोनों गुट 39 सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे, जिनमें से अजित पवार की पार्टी ने 33 सीटें जीतीं! क्या यह सटीक, रोबोटिक सर्जरी सामान्य रूप से संभव है?
गुरदीप सप्पल, कांग्रेस प्रवक्ता
उन्होंने एक और तथ्य रखा है, 'कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) द्वारा लोकसभा से विधानसभा तक खोए गए वोटों की कुल संख्या 47.1 लाख है। नए मतदाता 47 लाख जुड़े!'
योगेंद्र यादव ने भी उठाए सवाल
महाराष्ट्र चुनाव नतीजों पर चुनावी विश्लेषक योगेंद्र यादव ने भी हैरानी जताई है। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजे सिर्फ हैरान वाले नहीं, बल्कि चुनावी इतिहास के परंपरागत पैटर्न को तोड़ने वाले हैं, सामन्य हैरानी की सीमा के परे हैं।'
उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर सवाल उठाया है कि यह जनता का फैसला है या कोई चुनावी ‘गुगली’? उन्होंने कहा है, "चुनावों के ये 4 तथ्य कई बड़े सवाल खड़े करते हैं:
- सिर्फ 5 महीनों में महायुति ने -1% से +14% तक पहुंचकर तीन-चौथाई बहुमत हासिल कर लिया।
- महाराष्ट्र के 6 क्षेत्रों में अलग-अलग वोटिंग ट्रेंड पहली बार गायब हो गया।
- बीजेपी ने शहरी और ग्रामीण इलाकों में समान प्रदर्शन किया, जो चुनावी इतिहास में नया है।
- लोकसभा में हारने वाली पार्टी का विधानसभा में प्रचंड जीतना चुनावी इतिहास में ‘असामान्य’ है।
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