क्या बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में किसानों के ग़ुस्से का डर है? यदि ऐसा नहीं है तो वह अब क्यों किसानों को लुभाने की तैयारी में जुट गई है? जिसकी चिंता इसे साढ़े चार साल तक नहीं हुई, अब ऐसा क्या हो गया कि इसके लिये इसने ज़ोर-शोर से बैठकें शुरू कर दी हैं?
लोकसभा चुनावों से पहले किसानों के ग़ुस्से से डर गई बीजेपी?
- विश्लेषण
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- 29 Dec, 2018
क्या बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में किसानों के ग़ुस्से का डर है? यदि ऐसा नहीं है तो वह अब क्यों किसानों को लुभाने की तैयारी में जुट गई है? अब ज़ोर-शोर से बैठकें क्यों शुरू कर दी है?

दरअसल, कृषि संकट पर मोदी सरकार में अब हलचल शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के लिए कुछ करना (लुभावनी घोषणाएँ) चाहते हैं। इस पर संभावनाएँ तलाशने के लिए उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली, अमित शाह और कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के साथ बैठक की। बताया जाता है कि अब प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, नीति आयोग और सरकारी नीति तैयार करने वाले ‘थिंकटैंक’ के बीच विभागीय स्तर पर भी बैठकें होंगी। तो क्या यह माना जाए कि मोदी सरकार को भी लगने लगा है कि कृषि संकट में है? या फिर इसकी चिंता कुछ और ही है? आइए, देखते हैं, सच्चाई क्या है।
किसानों को फ़सलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। खेती दुर्दशा की शिकार है। इसको सुधारने के लिए किसान लगातार विरोध-प्रदर्शन करते रहे हैं। देशभर में हर रोज़ किसानों की आत्महत्याएँ हों या मध्य प्रदेश में पुलिस की गोलियाँ खाने का दंश। मुंबई में महाराष्ट्र के किसानों का पैदल मार्च हो या दिल्ली में किसानों का जमावड़ा। या कौड़ियों के भाव बिक रहे आलू-प्याज-टमाटर जैसी फ़सलों को किसानों द्वारा सड़कों पर फेंक कर रौंद देने का मामला। ये सारे मामले चीख-चीख कर कहते रहे हैं कि किसानी और किसान मर रहे हैं।