सबरीमला मंदिर का प्रबंध देखने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने यू-टर्न लेते हुए कहा है कि वह मंदिर प्रवेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सम्मान करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर के अपने फ़ैसले में हर उम्र की महिलाओं को मंदिर प्रवेश की छूट दे दी थी। लेकिन देवासम बोर्ड का कहना था कि यह लोगों की आस्था और भावना का प्रश्न है, लिहाज़ा, कोर्ट का फ़ैसला लागू नहीं किया जा सकता है।
बोर्ड का यह फ़ैसला अचरज करने वाला इसलिए भी है कि दो महिलाओं के मंदिर में घुस जाने के बाद इसने मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे। इसने कपाट खोलने के पहले पूरे मंदिर की सफ़ाई यह कह कर की थी कि वह अपवित्र हो गया।
मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाले खंडपीठ ने 28 सिंतबर को दिए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर पुनर्विचार की कई याचिकाएँ मंजूर की हैं। इस खंडपीठ में जस्टिस एफ़. आर. नरीमन, ए. एम खानविलकर, डी. वाई. चंद्रचूड़ और इन्दु मलहोत्रा भी शामिल हैं। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली। इस पर वे फ़ैसला बाद में सुनाएँगे। केरल सरकार ने पुनर्विचार याचिका का विरोध किया है।
बीजेपी ने सबरीमला के अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था। उसकी माँग थी कि केरल सरकार अध्यादेश लाकर अदालत के फैसले पर अस्थायी रोक लगाए या पुनर्विचार की याचिका दायर करे। केरल सरकार ने इससे इनकार कर दिया था।
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