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महिला पहलवानों के साथ धोखाः बृजभूषण गुट के चंगुल में फिर कुश्ती महासंघ

सरकार का एक फैसला एक साथ एक खेल का भविष्य बेहतर करे वहीं एक सवाल भी छोड़ जाए। सवाल यह कि कहीं यह कदम खिलाड़ियों के साथ अन्याय तो नहीं? ख़बर यह है कि  भारतीय खेल मंत्रालय ने मंगलवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है।
भारत के कुश्ती महासंघ को दिसंबर 2023 में खेल मंत्रालय ने बर्खास्त कर दिया था। मंत्रालय का कहना था कि  “नव निर्वाचित समिति ने प्रशासकीय और कार्यकारी चूक की है, जो स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय खेल संहिता के नियमों की पूरी तरह अवहेलना करता है। इससे यह भी ज़ाहिर होता है कि संघ इसके पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण में था।“
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यह फ़ैसला महिला पहलवानों द्वारा लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद आया था। इन आरोपों को लेकर देशभर में प्रदर्शन हुए थे। अब कुश्ती महासंघ से प्रतिबंध हटाते हुए भी खेल मंत्रालय ने महासंघ को साफ निर्देश दिए हैं कि वे संतुलित प्रशासनिक ढांचा बनाए रखे और निलंबित या निष्कासित अधिकारियों से खुद को अलग रखे।
मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा था, "WFI की कार्यकारी समिति को यह तय करना होगा कि महासंघ में सत्ता का संतुलन बना रहे और महासंघ किसी भी निलंबित या निष्कासित अधिकारी से खुद को दूर रखे। इस संबंध में महासंघ को चार सप्ताह के भीतर लिखित में आश्वासन देना होगा। अगर इस शर्त का उल्लंघन किया जाता है, तो खेल संहिता के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
इस फैसले के साथ ही महासंघ की पूरी जिम्मेदारी अब संजय सिंह को सौंप दी गई है। संजय सिंह ने ओलम्पिक में पदक जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक को हराकर रेसलिंग फेडरैशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट का चुनाव जीता था।संजय सिंह की इसके अलावा एक और पहचान है। वे पूर्व बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह के करीबी माने जाते हैं। आपको बता दें, बृज भूषण वही नेता हैं जिन पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे थे। पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक काफी दिन तक उनके खिलाफ़ धरने पर बैठी थीं।
माना जा रहा है कि खेल मंत्रालय के इस फैसले के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ में बृजभूषण शरण सिंह का कैम्प मजबूत हो गया है। इस फैसले की खुशी WFI के पूर्व अध्यक्ष रहे बृज भूषण सिंह के खेमे में साफ दिखी। पूर्व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, "यह संघर्ष लगभग 26 महीनों तक चला और आज सरकार ने महासंघ को बहाल कर दिया है। हम इसके लिए सरकार और खेल मंत्री का धन्यवाद करते हैं।"
बृज भूषण ने यह भी कहा कि पूरे हंगामे का खामियाजा सबसे ज़्यादा खिलाड़ियों और जूनियर पहलवानों को भुगतना पड़ा। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सभी टूर्नामेंट पहले की तरह आयोजित किए जाने चाहिए।
women wrestlers Cheated: Wrestling Federation again in clutches of Brij Bhushan group - Satya Hindi
पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह
हालांकि इस तरह खुशी ज़ाहिर कर रहे बृज भूषण शरण सिंह पर छह महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की मर्यादा भंग करने के लिए बल प्रयोग), धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 354D (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। ये तमाम आरोप –  महिला की मर्यादा भंग करने के लिए बल प्रयोग, यौन उत्पीड़न, पीछा करना और  आपराधिक धमकी के हैं। 
हालांकि, जुलाई 2023 में दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें नियमित जमानत दे दी थी। वहीं, पुलिस ने अपनी चार्जशीट में यह खुलकर कहा था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत है। अभी तक इस मामले की अंतिम सुनवाई नहीं हुई है। पीड़ित पहलवान लगातार उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। मामला फिलहाल कानूनी दांव-पेंच में उलझा हुआ है।
बृजभूषण शरण सिंह द्वारा महिला कुश्ती खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोप के बाद हुई उठा पटक से कुश्ती महासंघ को काफी नुक़सान हुआ।  इस विवाद के चलते भारतीय पहलवान कई अहम अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में हिस्सा नहीं ले सके। इसके कारण भारतीय खिलाड़ियों ने रैंकिंग सीरीज के टूर्नामेंट जैसे कि ज़ाग्रेब और अल्बानिया में भाग नहीं लिया। इस वजह से उनके अंतरराष्ट्रीय करियर पर असर पड़ा।
वहीं, अदालत के आदेश के बावजूद भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने महासंघ का संचालन करने के लिए बनाई गई एड हॉक समिति को मान्यता देने से इनकार कर दिया था।
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वैसे इस समय महासंघ की बहाली हो गई है। संभव है कि खिलाड़ियों को और मौके भी मिल जाएं पर क्या महिला पहलवानों को न्याय मिल पाएगा? या सरकार ने बृजभूषण शरण सिंह को अपनी ओर से क्लीन चिट दे दी है और महिला खिलाड़ियों की इंसाफ की मांग अधर में लटक गई है?  
(रिपोर्टः अणु शक्ति सिंह, संपादनः यूसुफ किरमानी)
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