कांग्रेस नेता शशि थरूर का कहना है कि यह सही वक्त है कि पीएम नरेंद्र मोदी नफरती भाषणों और इस्लामोफोबिक घटनाओं पर अपनी चुप्पी तोड़ें। उनकी चुप्पी से यह मतलब निकाला जा रहा है कि वे इन घटनाओं को अनदेखा कर रहे हैं।
थरूर ने पीटीआई न्यूज एजेंसी को दिए गए लंबे इंटरव्यू में तमाम मुद्दों पर बात की। विरोध प्रदर्शनों पर थरूर ने कहा कि भारतीय कानून स्पष्ट रूप से भारत के नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने को एक आपराधिक अपराध बनाता है। चाहे वो शब्दों में हो, लिखित हो, संकेतों द्वारा हो या किसी दृश्य के जरिए हो। अगर कोई भारतीय नागरिकों के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने का प्रयास करता है तो पुलिस द्वारा उस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, मुझे यह देखकर खुशी हुई कि ऐसे जहरीले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, भले ही देर से ही क्यों न हो। बता दें कि हाल ही में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा और निष्कासित नेता नवीन जिन्दल ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में अशोभनीय टिप्पणियां की थीं। बीजेपी ने बाद में दोनों को फ्रिंज एलीमेंट बताकर पदों से हटा दिया और पार्टी से निकाल दिया। लेकिन उनकी गिरफ्तारी अब तक नहीं की। जबकि कई शहरों में दोनों के खिलाफ केस भी दर्ज हैं। इनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे मुस्लिम प्रदर्शनों के दौरान अब हिंसा हो रही है। रांची में दो लोग मारे गए हैं। यूपी में कई मुस्लिम युवकों को पकड़ा गया है और उन्हीं को आरोपी बताकर अब उनके घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। रविवार को प्रयागराज में जेएनयू की पूर्व छात्र नेता आफरीन फातिमा के घर को पूरी तरह गिरा दिया गया।
थरूर से यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस पर सॉफ्ट हिंदुत्व को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है, ऐसे में क्या पार्टी को अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाने की जरूरत है, जैसे कि पैगंबर विवाद। शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस ने इस घटना की निंदा से अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। हम भारत के समावेशी विचार में विश्वास करते हैं और जब भी उस विचार का उल्लंघन किसी शब्द या कर्म से होता है, तो उस पर बोलना चाहिए। कई मुस्लिम-बहुल देशों से नाराजगी और निंदा के बारे में पूछे जाने पर और यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए था, थरूर ने कहा-
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मेरा मानना है कि यह उचित समय है। प्रधानमंत्री को हमारे देश में नफरती भाषण और इस्लामोफोबिक घटनाओं के प्रसार पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। क्योंकि उनकी चुप्पी का गलत मतलब निकाला जाएगा। मुझे यकीन है कि वह (मोदी) समझते हैं कि इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी भारत के विकास और समृद्धि के लिए उनके अपने नजरिए को कमजोर कर रही है।
थरूर ने जोर देकर कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए सामाजिक एकता और राष्ट्रीय सद्भाव जरूरी है।इसलिए, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नाम पर, उन्हें सार्वजनिक रूप से इस तरह के व्यवहार को रोकने का आह्वान करना चाहिए।
आफरीन फातिमा पर बोले
शशि थरूर ने पीटीआई को इंटरव्यू देने के अलावा अलग से यूपी में बुलडोजर राजनीति और इलाहाबाद में जेएनयू की पूर्व छात्र नेता आफरीन फातिमा का घर तोड़े जाने के मुद्दे पर ट्वीट करके अपने विचार रखे।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा अपराधियों और माफिया को कुचलने के लिए बुलडोजर जारी रखने के एक दिन बाद, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भारतीय संविधान से खुद को छूट के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर हमला किया।
जेएनयू की पूर्व छात्र नेता आफरीन फातिमा के घर के विध्वंस के बारे में बताते हुए एक वायरल फेसबुक पोस्ट को साझा करते हुए, थरूर ने लिखा कि वह वीडियो देखकर वो "हैरान" हैं। उन्होंने कहा, कानून की उचित प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए मौलिक है। यूपी में चलाए जा रहे 'बुलडोजर ड्राइव' की वैधता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने लिखा: किस कानून के तहत और किस प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया है? क्या यूपी ने खुद को भारत के संविधान से छूट दी है?”
बहरहाल, शशि थरूर की आवाज अकेली है। तमाम राजनीतिक दल इस जुल्म पर चुप हैं।
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