तमिलनाडु और खासकर इसके दो जिलों तिरुपुर और कोयंबटूर में कथित तौर पर हिंदी बोलने वाले मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरें राजनीतिक मोहरा बन चुकी हैं। ऐसी ज्यादातर शिकायतें बिहार और कुछ हद तक झारखंड के अखबारों में और दूसरे मीडिया प्लेटफार्म से सामने आईं। जब तमिलनाडु की सरकार और उसके अफसरों द्वारा सच्चाई बताने के साथ अफवाह फैलाने पर कार्रवाई का सख्त बयान जारी किया गया तो अखबारों का रवैया नर्म हो गया।

तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरें बिहार के अखबारों ने उछाली। जिम्मेदार संपादकों ने मात्र एक वीडियो के आधार पर सारी फेक न्यूज परोस दी। बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। लेकिन जब सच सामने आया तो बीजेपी अब बैकफुट पर है।