पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की ज़मानत को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई है। सर्वोच्च अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनकी ज़मानत को चुनौती दी गई थी।
पुनर्विचार नहीं
सु्प्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा, हमने पुनर्विचार याचिका पर ग़ौर किया है और उससे जुड़े काग़ज़ात देखे हैं। हम इससे संतुष्ट हैं कि ज़मानत देने में कोई ग़लती नहीं हुई थी, लिहाज़ा, हम इस पर पुनर्विचार की ज़रूरत नहीं समझते।
सर्वोच्च अदालत ने 22 अक्टूबर को चिदंबरम को ज़मानत देते हुए सीबीआई के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि पूर्व वित्त मंत्री को ज़मानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वे हवाई जहाज़ से कहीं भाग जा सकते हैं।
क्या था मामला?
इसके बाद अदालत ने
आईएनएक्स मीडिया केस में प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट की ओर से दायर मामले में भी दिसंबर में ज़मानत दे दी थी।
सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि चिदंबरम ने जाँच में सहयोग किया था और उन्हें आदेश दिया था कि वे आगे भी ऐसा करते रहें।
सीबीआई ने
चिदंबरम पर आरोप लगाया था कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया से 10 लाख रुपए की घूस लेकर उसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़ा आदेश जारी किया था।
आरोप है कि 2007 में जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब नियमों को ताक पर रखकर आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलायी गयी थी। यह भी आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता पी. चिदंबरम के ज़रिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड से यह मंज़ूरी दिलाई थी।
चिदंबरम सीबीआई के इन आरोपों को ख़ारिज़ करते रहे हैं और कहते रहे हैं कि इन कंपनियों के विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंज़ूरी देने में कोई भी गड़बड़ी नहीं की गयी है।
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