एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के जांच पैनल को लिखा है कि वह पेगासस पर न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की हालिया रिपोर्ट के दावों की जांच करे और भारतीय नागरिकों के खिलाफ स्पाइवेयर के कथित इस्तेमाल की भी जांच करे।
गिल्ड ने एक बयान में कहा कि उसने रिपोर्ट में किए गए दावों को बड़ी चिंता के साथ नोट किया है कि भारतीय और इजरायली सरकारें "लगभग 2 अरब डॉलर के हथियार सौदे पर सहमत हुई थीं। इसी सौदे में पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली खरीदी गई थी।”
"गिल्ड ने जस्टिस रवींद्रन की अध्यक्षता वाली समिति को लिखा है, जिसे भारतीय नागरिकों के खिलाफ पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्थापित किया था। गिल्ड ने इस समिति से कहा कि वो न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में किए गए दावों का संज्ञान ले। वो भारत सरकार, सीएजी, साथ ही उन सभी संभावित मंत्रालयों के सचिवों से हलफनामे मांगें जो स्पाइवेयर की खरीद में शामिल हो सकते हैं।“
गिल्ड ने आगे कहा, "न्यूयॉर्क टाइम्स में दावे भारत सरकार के रुख के बिल्कुल विपरीत हैं। भारत सरकार पेगासस खरीदे जाने के अत्यंत गंभीर आरोपों के जवाब में हमेशा अस्पष्ट और गैर-प्रतिबद्ध रही है। गिल्ड ने कहा -
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सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इसका इस्तेमाल पत्रकारों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों सहित भारतीय नागरिकों के खिलाफ किया गया है।
गिल्ड ने यह भी कहा कि समिति की कार्यवाही को जनता के लिए खुला रखा जाना चाहिए ताकि "गवाहों को बुलाए जाने और उनके जवाबों के संबंध में पूरी पारदर्शिता बनी रहे।"
इससे पहले, पिछले साल नवंबर में, गिल्ड ने समिति को सुझाव के साथ पत्र लिखा था और जांच के लिए अपनी सहायता की पेशकश की थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट ने संसद के बजट सत्र से पहले राजनेताओं के बीच वाकयुद्ध को जन्म दिया है। पेगासस मुद्दे ने पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र को हिलाकर रख दिया था और विपक्षी दलों ने घोटाले पर चर्चा की मांग करते हुए दोनों सदनों को बाधित कर दिया था।
रिपोर्ट का हवाला देते हुए, कांग्रेस ने कहा कि वह इस मुद्दे को संसद में यह तर्क देते हुए उठाएगी कि सरकार ने सदन को "धोखा" दिया है।
कांग्रेस के अलावा, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, राजद, राकांपा और शिवसेना ने भी सरकार से अपने "इनकार मोड" से बाहर आने और पेगासस स्पाईवेयर के जरिए राजनीतिक नेताओं, पत्रकारों, जजों और सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने में अपनी भूमिका को स्वीकार करने के लिए कहा।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार "संसद से झूठ बोल रही है कि उनका पेगासस से कोई लेना-देना नहीं है, कि उन्होंने कभी भी एनएसओ समूह से स्पाइवेयर नहीं खरीदा।" उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह किया है। खड़गे ने कहा-
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हम सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाए और इसे संसद में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।
मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता विपक्ष, राज्यसभा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "मोदी सरकार ने हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा है। सरकारी अधिकारी, विपक्षी नेता, सशस्त्र बल, न्यायपालिका सभी फोन टैपिंग के निशाने पर थे। यह देशद्रोह है। मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।"
हालांकि, सड़क परिवहन और राजमार्ग और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल विजय कुमार सिंह ने शनिवार को इस मुद्दे पर एक ट्वीट का जवाब देते हुए ट्वीट किया: “क्या आप न्यूयॉर्क टाइम्स पर भरोसा कर सकते हैं? वे 'सुपारी मीडिया' के रूप में जाने जाते हैं।
संपर्क करने पर, एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सरकार संसद में बयान दे चुकी है।
कोर्ट में एक और याचिकाइस बीच, इजरायली स्पाइवेयर के कथित इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का संज्ञान लेने की मांग की गई है।
वकील एमएल शर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि इस सौदे को संसद द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था और इसलिए, इसे रद्द करने और धन की वसूली की आवश्यकता है। उन्होंने शीर्ष अदालत से एक आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए उपयुक्त निर्देश जारी करने और पेगासस स्पाइवेयर खरीद सौदे और न्याय के हित में सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग की जांच करने का आग्रह किया।
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