लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली लोकसभा में नया तूफ़ान उठा है। एक तरफ़ स्पीकर ओम बिरला की कुर्सी पर निष्पक्षता के सवाल उठ रहे हैं, तो दूसरी ओर विपक्ष का आरोप है कि उनकी आवाज़ को जानबूझकर दबाया जा रहा है। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने स्पीकर को आठ मुद्दों वाला एक पत्र सौंपा है, जिसमें माइक्रोफोन बंद करने से लेकर उपसभापति की नियुक्ति तक की शिकायतें शामिल हैं। क्या यह संसद में सत्ता और विपक्ष की पुरानी जंग का नया अध्याय है, या वाक़ई लोकतांत्रिक मूल्यों पर चोट हो रही है?