भारतीय जनता पार्टी के प्रिय विषय समान नागरिक संहिता एक बार फिर बहस के केंद्र में लौटने वाली है, हालाँकि इस बार इसकी शुरुआत पार्टी ने नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की यह कह कर आलोचना की है कि हिन्दू अधिनियम 1956 में लागू होने के 63 साल बीत जाने के बाद भी संविधान के अनुच्छेद 44 की अनदेखी की गई है और समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश नहीं की गई है।