चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए जारी वार्ता के बीच लेह पहुँचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि बातचीत से हल निकल जाना चाहिए लेकिन वह इसकी कोई गारंटी नहीं दे सकते हैं कि इसका समाधान किस हद तक निकलेगा। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं सबको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि भारत की एक इंच ज़मीन भी किसी को हड़पने नहीं दी जाएगी।
रक्षा मंत्री का यह बयान अहम इसलिए है कि मोदी सरकार ताज़ा चीन विवाद शुरू होने के बाद से ही कहती रही है कि भारत की ज़मीन पर किसी ने क़ब्ज़ा नहीं किया है। तब हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'लद्दाख में भारत की सीमा में न तो कोई घुसा हुआ है और न ही हमारी कोई चौकी किसी दूसरे के कब्जे में है।' हालाँकि कई सैटेलाइट तसवीरों में यह दिखा था कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी और कई रक्षा विशेषज्ञों ने भी यही बात कही थी चीन भारतीय सीमा में घुस आया है। विपक्ष भी यही आरोप लगाता रहा है। हालाँकि हाल के दिनों में वार्ता के बीच ही दोनों देशों की सेनाएँ पीछे हटने भी लगी हैं।
दोनों देशों के बीच चल रही इसी बातचीत के बीच राजनाथ सिंह शुक्रवार को लेह में सुरक्षा की स्थिति का जाएजा लेने पहुँचे। उन्होंने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, 'अब तक जो भी बातचीत हुई है, उससे मामले को सुलझ जाना चाहिए... लेकिन किस हद तक इसे हल किया जाएगा, मैं गारंटी नहीं दे सकता। हालाँकि, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हमारी ज़मीन का एक इंच भी दुनिया की किसी भी ताक़त द्वारा नहीं लिया जा सकता है।'
RM with the troops who participated in the para dropping and other military exercise at Stakna. pic.twitter.com/mN67nsGiAh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) July 17, 2020
रक्षा मंत्री ने कहा कि हम सीमा पर दुश्मनों की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों ने देशवासियों के सम्मान की रक्षा की। चीन की सेना के साथ ख़ूनी झड़प में 20 जवानों के शहीद होने की ओर इशारा कर उन्होंने कहा कि हमारे सेना के जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
रक्षा मंत्री ने कहा, 'अगर किसी ने हमारे स्वाभिमान पर चोट पहुँचाने की कोशिश की तो उसे मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा।' राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान सबसे ऊपर होता है और हम अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते।
बता दें कि भारत चीन सैन्य कमांडरों के बीच बीचे मंगलवार को 15 घंटे की लंबी बैठक चली थी। यह भारतीय और चीनी सेना के कमांडर स्तर की चौथे दौर की बातचीत थी। इसमें भारत ने एक बार फिर चीन से कहा था कि वह मौजूदा संकट शुरू होने के पहले की स्थिति बहाल करे, यानी अपने सैनिकों को वहाँ तक वापस बुला ले, जहाँ उसके सैनिक 30 अप्रैल को मौजूदा संकट शुरू होने के पहले थे।
चीन ने इस पर किसी तरह का वायदा नहीं किया है, पर वह इस पर राज़ी है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल की जाए और इसके लिए ज़रूरी क़दम दोनों ही देश उठाएँ।
चीन ने इस इलाक़े को खाली करने से यह कह कर इनकार कर दिया है कि वह अपने ही इलाक़े में है, लिहाज़ा वहां से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है। भारत का कहना है कि वह भारतीय इलाक़ा है और वहाँ चीनी सेना की मौजूदगी पहले के क़रारों का उल्लंघन है।
अपनी राय बतायें