किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों को लेकर बीजेपी पूरे देश भर में लोगों के बीच पहुंच रही है। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिये कई राज्यों के किसानों से बात कर रहे हैं। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर किसानों को कृषि क़ानूनों के बारे में बता रहे हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली के द्वारका में आयोजित कार्यक्रम में आंदोलनकारी किसानों से कहा कि नए कृषि क़ानूनों को एक साल के लिए लागू होने दें, अगर ये किसानों के लिए फ़ायदेमंद नहीं होते हैं तो हम इनमें संशोधन के लिए तैयार हैं। वैसे, किसान नेताओं से बातचीत के दौरान भी सरकार इस बात के लिए कह चुकी है कि वह कृषि क़ानूनों में संशोधन के लिए तैयार है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ये नये कृषि क़ानून किसानों के कल्याण के लिए पास किए गए हैं लेकिन आज कुछ लोगों के द्वारा ये ग़लतफहमी पैदा की जा रही है कि ये किसान विरोधी क़ानून हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि इन क़ानूनों में एक भी ऐसा प्रावधान नहीं है जो कृषि क़ानूनों के विरोध में हो।
एमएसपी ख़त्म नहीं होगा
अनुभवी नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि ग़लतफहमी पैदा की जा रही है कि एमएसपी को ख़त्म कर दिया जाएगा। जबकि प्रधानमंत्री इस बात को कई बार कह चुके हैं कि एमएसपी ख़त्म होगा और वह ख़ुद भी किसानों को इस बात का भरोसा दिलाते हैं कि एमएसपी ख़त्म नहीं होगा।
टिकरी-सिंघु से लेकर ग़ाजीपुर बॉर्डर तक बड़ी संख्या में इकट्ठा हो चुके किसानों का आंदोलन बढ़ता जा रहा है। देश के दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली कूच किया है। रेवाड़ी बॉर्डर पर भी किसानों का धरना जारी है।
विपक्ष ने बढ़ाया दबाव
कृषि क़ानूनों के मसले पर तमाम विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार पर ख़ासा दबाव बढ़ा दिया है। किसानों की भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद तक के कार्यक्रम को विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। हालांकि किसानों ने अपने आंदोलन को पूरी तरह ग़ैर राजनीतिक रखा है लेकिन मोदी सरकार से लड़ने में ख़ुद को अक्षम पा रहे विपक्ष को किसान आंदोलन से ऊर्जा मिली है और वह खुलकर किसानों के समर्थन में आगे आया है।
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