उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि नागरिकता क़ानून विरोधी आन्दोलन के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का हाथ है और पुलिस को इसके पक्के सबूत मिले हैं।
सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफ़आई पर नकेल कसने की बड़ी तैयारी कर रही है। जाँच एजेंसियों को पीएफ़आई के साथ कुछ सियासी दलों के नेताओं के साथ रिश्तों की जानकारी भी मिली है।
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गृह मंत्रालय ने इस संबंध में विशेष टीम का गठन किया है। एनआईए और ईडी आदि के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर गृह मंत्रालय ने पीएफ़आई के बारे में और जानकारी इकठ्ठा की है।
ईडी की जाँच में खुलासा
ईडी सूत्रों के मुताबिक़, 120.05 करोड़ रुपये 73 ऐसे बैंक खातों में जमा किए गए जो पीएफ़आई से संबंधित हैं। इनमें 27 खाते सीधे तौर पर पीएफ़आई के रिहैब इंडिया फाउंडेशन के 9 और 37 निजी खाते हैं। 17 बैंकों के इन खातों की गहन जाँच शुरू की गई है।ईडी की जाँच में यह भी पता लगा है कि इन खातों में ज़्यादातर रकम नकद जमा की गयी है। पीएफ़आई को यह नकद रकम मिलने वाले चंदे की रकम से अलग है।
जाँच में यह भी पता लगा है कि देश भर से चंदे के तौर पर इकठ्ठा की गयी नकद राशि का एक हिस्सा शाहीन बाग स्थित पीएफआई के मुख्यालय में रखा गया।
पीएफ़आई के दिल्ली अध्यक्ष मुहम्मद परवेज़ अहमद और अन्य लोगों ने नागरिकता क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों में जमकर हिस्सा लिया पीएफ़आई फंडिंग की जाँच का दायरा 8 राज्यों तक बढ़ा दिया गया है। दिल्ली,आंध्र प्रदेश,असम,बिहार,केरल,झारखंड,पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में पीएफ़आई की भूमिका औऱ फंडिंग की गहन जाँच की जा रही है। ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पीएफ़आई पर प्रतिबंध लगाने के लिए गृह मंत्रालय को पहले ही लिख रखा है।
यूपी पुलिस को मिले सबूत
सीएए के विरोध में उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा के बीच पीएफ़आई फंडिंग को लेकर चल रही जाँच में बड़ा खुलासा हुआ है। एक मनी ट्रेल पकड़ा गया है।पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ संदिग्ध खातों में आठ करोड़ से ज़्यादा की रकम दीनी तालीम और समाज सेवा के नाम पर आई है, जो एक नंबर में दर्शायी गई है। बाकी करोड़ों रुपए भी अवैध ढंग से जुटाने की जानकारी मिली है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का कहना है कि सारी रकम एक नंबर में है। जाहिर है कि इस काम में चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद ली गई है। बैंक खातों में करोड़ों की लेनदेन करने वाले इस बात से वाकिफ़ होंगे कि बाद में खातों की जाँच हो सकती है। इसलिए उन्होंने उतना पैसा ही खातों में ट्रांसफर किया है, जो एक नंबर में दिखाया जा सके। हो सकता है कि इससे ज़्यादा रकम नकद या हवाला कारोबार के रूप में स्थानीय लोगों तक आई हो।
भड़काऊ पोस्टर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पत्थरबाजी करते हुए युवक का पोस्टर सबसे पहले पीएफ़आई ने जारी किया था। कुछ ऐसे पर्चे भी बाँटे गए, जिनमें अवैध शस्त्र के साथ युवक दिखाए गए हैं। ये पोस्टर भी पीएफ़आई ने जारी किए थे। इन पर्चों पर प्रिंटिंग प्रेस का नाम नहीं लिखा है। यह चिंता की बात है और मामले को संदेहास्पद बनाती है।पुलिस का दावा है कि दिल्ली के शाहीन बाग में पीएफ़आई मुख्यालय से भड़काऊ प्रचार सामग्री आसपास के राज्यों को भेजी गई। इसके बाद सीएए को लेकर हिंसा हुई। आशंका जताई जा रही है कि पीएफ़आई से जुड़े लोग दूसरे संगठनों से भी जुड़े हो सकते हैं क्योंकि पीएफ़आई कोई राजनीतिक संगठन नहीं है।
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