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मस्क के Grok से मांगी सफ़ाई; क्या भारत में बैन हो सकता है?

जिस ग्रोक ने भारत में दक्षिणपंथियों की नाक में दम कर रखा है, लगता है वह अब खुद ही मुश्किल में पड़ने वाला है। एलन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के एआई चैटबॉट ग्रोक विवादों में है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ग्रोक से नाराज़ है और इसने ग्रोक द्वारा दिए जाने वाले जवाब को लेकर सफ़ाई मांगी है। इसके साथ सवाल उठ रहे हैं कि जिस ग्रोक के जवाबों से बीजेपी और दक्षिणपंथी असहज हो रहे हैं उसके दिन क्या अब भारत में लदने वाले हैं?

ग्रोक ने हाल में भारतीय यूजरों के बीच तहलका मचा दिया है। अपनी बेबाक और मजेदार प्रतिक्रियाओं के लिए मशहूर ग्रोक ने जवाहरलाल नेहरू, स्वतंत्रता संग्राम, अल्पसंख्यक अधिकार, क्रिकेट और बॉलीवुड पर भारत से जुड़े तमाम सवालों का जवाब देकर लोगों का ध्यान खींचा है। लेकिन भारत सरकार इससे खुश नहीं है। सीएनबीसी-टीवी18 ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि इसको पता चला है कि केंद्र सरकार ने एक्स से ग्रोक के जवाबों को लेकर चिंता जताई है और इसके प्रशिक्षण डेटा व इसकी प्रतिक्रियाओं पर स्पष्टीकरण मांगा है।

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रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार को ग्रोक के जवाबों की सामग्री और इसके प्रशिक्षण डेटा पर आपत्ति है। यह चिंता तब बढ़ी जब ग्रोक ने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विवादास्पद टिप्पणियां कीं, इनमें से कुछ पर ग़लत सूचनाओं के आरोप भी लगे। सरकार ने एक्स से पूछा है कि ग्रोक को किस डेटा पर प्रशिक्षित किया गया और इसके जवाबों को नियंत्रित करने की क्या व्यवस्था है। यह पहली बार नहीं है जब ग्रोक विवाद में आया हो, पिछले साल अमेरिकी चुनावों को लेकर भी इस पर गलत जानकारी फैलाने के आरोप लगे थे।

भारत में ग्रोक पर पीएम मोदी से लेकर बीजेपी, आरएसएस तक से ऐसे-ऐसे सवाल पूछे गए और जो इसके जवाब आए वो उनके समर्थकों को रास नहीं आया। कुछ इसी तरह के जवाब जवाहरलाल नेहरू के बारे में भी आए जो दक्षिणपंथियों को पसंद नहीं आया। फिर महात्मा गांधी से लेकर हाल के विपक्षी दलों के राजनेताओं, सोनिया गांधी, राहुल गांधी पर सवाल पूछे गए। इनके भी जवाब उसी तरह से तीखे आए। अधिकतर जवाब विवादों में रहे। 

ग्रोक ने हाल ही में भारत में लोकप्रियता हासिल की है, खासकर अपनी अनफिल्टर्ड और बेलगाम प्रतिक्रियाओं के लिए। यह कभी-कभी यूजरों को बोलचाल की भाषा में गालियां भी देता है। नेहरू से लेकर आज के राजनीतिक मुद्दों तक, इसने हर विषय पर जवाब दिए। ये वायरल हो गए। जहां कुछ यूजर इसकी बेबाकी को सराह रहे हैं, वहीं कई इसकी सटीकता और टोन पर सवाल उठा रहे हैं। गूगल के जेमिनी, ओपनएआई के चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे मॉडल संवेदनशील राजनीतिक सवालों से बचते हैं या नरम जवाब देते हैं, लेकिन ग्रोक की बिंदास शैली ने इसे अलग खड़ा किया है।
ग्रोक की प्रतिक्रियाओं पर जनता का मत बंटा हुआ है। कुछ इसे ताजगी भरा और मनोरंजक मानते हैं, तो कुछ इसे गैर-जिम्मेदार और पक्षपाती कहते हैं।

स्नैपडील के संस्थापक कुणाल बहल जैसे यूजर्स ने भविष्यवाणी की है कि इसके विवादास्पद जवाबों के चलते भारत में इसकी उम्र कम हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रोक की बेबाकी इसकी ताकत भी है और कमजोरी भी—यह यूजरों को आकर्षित करती है, लेकिन नैतिकता और सटीकता के सवाल खड़े करती है।

बता दें कि एलन मस्क ने ग्रोक को गूगल, ओपनएआई और अन्य एआई मॉडलों के जवाब में विकसित किया था। xAI ने ग्रोक को लॉन्च करते हुए कहा था, 'ग्रोक में थोड़ा विद्रोही रवैया है, अगर आपको हास्य से नफरत है तो इसका इस्तेमाल न करें!' इसकी एक मिसाल यह है कि जब एक्स पर सबसे बड़े ग़लत सूचना के स्रोत के बारे में पूछा गया, तो ग्रोक ने मस्क का नाम लिया।

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ग्रोक का मामला भारत में एआई नियमों और सोशल मीडिया की जवाबदेही पर बहस को तेज कर सकता है। सरकार की सख्ती से संकेत मिलता है कि वह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को लेकर संवेदनशील है, खासकर जब बात राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक सौहार्द की हो। दूसरी ओर, मस्क की छवि एक ऐसे उद्यमी की है जो नियमों को तोड़ने से नहीं डरते। अगर एक्स सरकार की मांगों को पूरा नहीं करता, तो ग्रोक पर प्रतिबंध या सख्त नियमों का ख़तरा मंडरा सकता है।

यह भी सवाल उठता है कि क्या ग्रोक की नीति भारत जैसे विविध और संवेदनशील देश में कारगर हो सकती है? जहां मस्क इसे 'वोक विरोधी' और बेबाक एआई के तौर पर पेश करते हैं, वहीं भारत में इसकी कथित तौर पर अराजक शैली तनाव बढ़ा सकती है। 

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)

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