मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस के साथ अपने परिवार के 55 साल पुराने रिश्ते को ख़त्म कर लिया। उन्होंने रविवार को कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की और कुछ घंटों के भीतर ही उन्होंने एकनाथ शिंदे की शिवसेना का झंडा थाम लिया। मिलिंद देवड़ा कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी या उसकी सहयोगी पार्टी में शामिल होने वाले सबसे ताज़ा नेता हैं। उनसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद जैसे नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है।
मिलिंद देवड़ा को लेकर पहले से ही कयास लगाये जा रहे थे। ख़ासकर तब जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने कह दिया था कि उसके जितने भी मौजूदा सांसद हैं वे सीटें लोकसभा चुनाव में उनके पास ही रहेंगी। कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन है, तो मिलिंद की सीट शिवसेना को जाती दिख रही थी। ऐसा इसलिए कि जिस लोकसभा सीट से मिलिंद लड़ते रहे थे वहाँ से 2019 में इसे उद्धव खेमे के सांसद अरविंद सावंत ने जीता था। मिलिंद देवड़ा मुंबई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद रहे हैं। इस बार माना जा रहा है कि शिवसेना उस सीट पर दावा कर रही है। इसको लेकर मिलिंद ने कांग्रेस से चिंता भी जाहिर की थी।
2004 में जब देवड़ा पहली बार संसद में पहुंचे थे तो वह राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले युवा सांसदों के समूह का हिस्सा थे। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और आरपीएन सिंह शामिल थे। सचिन पायलट को छोड़कर इन सभी ने कांग्रेस छोड़ दी है। पार्टी छोड़ने वालों में कपिल सिब्बल से लेकर एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी जैसे नेता भी शामिल हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने पिछले साल जनवरी में पार्टी छोड़ दी और अगले महीने भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर की प्रशंसा की थी। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने अपने बेटे के फैसले पर दुख और निराशा व्यक्त की थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह जनवरी 2022 को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले ऐसा करने वाले सबसे प्रमुख नेता थे। पिछड़ी जाति के प्रमुख नेता सिंह कथित तौर पर प्रियंका गांधी के नेतृत्व वाले यूपी अभियान में दरकिनार किए जाने से नाराज़ थे।
जून 2021 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया था। प्रसाद 2001 से कांग्रेस से जुड़े थे और पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के अधीन केंद्रीय राज्य मंत्री थे। दिवंगत कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। उनको राहुल गांधी की टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले के तौर पर देखा जाता रहा था। प्रसाद ने पार्टी छोड़ने के बाद कहा था कि बीजेपी एकमात्र वास्तविक राजनीतिक पार्टी है और यह एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है। वह फिलहाल योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
कांग्रेस के पूर्व विधायक अल्पेश ठाकोर ने जुलाई 2019 में दो राज्यसभा सीटों के लिए उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने के बाद पार्टी छोड़ दी थी। कुछ दिनों बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्हें राधापुर से उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा गया, लेकिन वह सीट हार गए। पिछले साल हुए चुनाव में उन्होंने गांधीनगर दक्षिण से जीत हासिल की थी।
गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने मई 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने राहुल गांधी का नाम लेते हुए उन पर नाराजगी जताई थी। राहुल उन्हें 2019 में पार्टी में लेकर आए थे। पार्टी छोड़ने के एक महीने बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने पंजाब चुनाव से कुछ दिन पहले फरवरी 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वह 2019 के चुनावों में हार के बाद पार्टी छोड़ने वाले पहले वरिष्ठ यूपीए कैबिनेट मंत्री थे।
सुनील जाखड़ ने कभी पंजाब कांग्रेस इकाई का नेतृत्व किया था, लेकिन 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने के लिए नेतृत्व द्वारा कारण बताओ नोटिस के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी। वह मई में भाजपा में शामिल हुए और उसी साल जुलाई में उन्हें इसकी पंजाब इकाई का प्रमुख बना दिया गया।
सुष्मिता देव अखिल भारतीय महिला कांग्रेस प्रमुख थीं और असम में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक थीं। उन्होंने अगस्त 2021 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी थी। बाद में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया। कहा जाता है कि राहुल की टीम के जानी-मानी सदस्य देव असम में नेतृत्व द्वारा लिए गए कुछ फैसलों से नाखुश थी।
अगस्त 2022 में दिग्गज नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस छोड़ दी थी। तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को संबोधित पांच पन्नों के पत्र में आजाद ने कहा था कि कांग्रेस में स्थिति सुधार नहीं होने के बिंदु पर पहुंच गई है। उन्होंने राहुल गांधी की जमकर आलोचना की थी। पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री आज़ाद ने अगले महीने अपनी खुद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी बनाई।
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