नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने फ़ैसला लिया है कि देश में आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों को भी 10 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन अफ़सोस कि सरकार पूरी ताक़त लगाकर भी इस चुनावी शिग़ूफ़े का फ़ायदा नहीं उठा पाएगी! इसकी सबसे बड़ी वजह हमारा संविधान है जो आर्थिक आधार पर नहीं बल्कि ‘सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन’ के आधार पर आरक्षण देने की बात करता है। लिहाज़ा, इसके लिए मोदी सरकार को सबसे पहले संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए सियासी जमात के बीच वैसी ही आम राय बनानी होगी, जैसा कि महिला आरक्षण विधेयक के लिए अपेक्षित रहा है। इससे भी बड़ी बाधा यह है कि सरकार के पास संविधान संशोधन को परवान चढ़ाने के लिए पर्याप्त वक़्त नहीं है। वैसे सरकार की इस मंशा को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती झेलनी पड़ सकती है।