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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस घोषणापत्र पर 'मुस्लिम लीग छाप' के प्रहार पर पलटवार करते हुए कहा कि राजनीतिक मंचों पर किए गए झूठे दावों के बावजूद इतिहास को बदला नहीं जा सकता है।
पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव विचारधाराओं के टकराव का प्रतिनिधित्व करता है। एक तरफ कांग्रेस खड़ी है, जो भारत को एकजुट करने में अपनी भूमिका के लिए जानी जाती है, जबकि दूसरी तरफ विभाजन को कायम रखने वाले लोग हैं।
राहुल गांधी ने 'एक्स' (ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "यह चुनाव दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है! ऐतिहासिक घटनाओं से पता चलता है कि किसने देश को विभाजित करने वाली ताकतों का पक्ष लिया और किसने इसकी एकता और आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।"
राहुल ने पूछा- "भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, किसने अंग्रेजों के साथ गठबंधन किया? जब भारत की जेलें कांग्रेस नेताओं से भरी हुई थीं, तब देश को विभाजित करने वाली ताकतों के साथ राज्यों में सरकार कौन चला रहा था?" उन्होंने कहा कि राजनीतिक मंचों से झूठ फैलाने के बावजूद इतिहास को बदला नहीं जा सकता है। यहां यह बताना जरूरी है कि देश की आजादी की लड़ाई के योगदान में आरएसएस और भाजपा के पूर्ववर्ती हिन्दू महासभा, जनसंघ की कोई भूमिका नहीं थी। भाजपा के वैचारिक और राजनीतिक गुरु श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने अंग्रेजों से दोस्ती की। मोहम्मद अली जिन्ना की पार्टी मुस्लिम लीग से समझौता कर दो राज्यों में सरकार तक चलाई। हिन्दू महासभा ने हमेशा जिन्ना की टू नेशन थ्योरी (दो राष्ट्र सिद्धांत- पाकिस्तान-हिन्दुस्तान) का समर्थन किया।
राहुल गांधी की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा दोनों ने बार-बार कांग्रेस के घोषणापत्र पर स्वतंत्रता पूर्व युग की मुस्लिम लीग से प्रेरित होने का आरोप लगाया है। मोदी अपनी रैलियों में कांग्रेस के घोषणापत्र को लगातार निशाना बना रहे हैं। मोदी ने कई बार कहा- "हर पन्ने पर भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की बू आती है। कांग्रेस का घोषणापत्र उसी सोच को दर्शाता है जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मुस्लिम लीग में थी। इस पर पूरी तरह से मुस्लिम लीग की छाप है और जो कुछ बचा है उस पर पूरी तरह से वामपंथियों का वर्चस्व है।"
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र की मुस्लिम लीग से तुलना करने वाली पीएम नरेंद्र मोदी की टिप्पणियों के खिलाफ सोमवार को चुनाव आयोग (ईसी) में शिकायत भी दर्ज कराई थी। अभी तक चुनाव आयोग ने किसी भी प्रकार का नोटिस भाजपा या मोदी को जारी नहीं किया है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी को जबरदस्त जवाब दिया है।
कांग्रेस का घोषणापत्र 5 अप्रैल को जारी हुआ था। 6 अप्रैल को मोदी का जो पहला बयान सहारनपुर की रैली में आया, उससे पता चलता है कि भाजपा औऱ मोदी दोनों ही कांग्रेस घोषणापत्र से असहज लग रहे हैं। कांग्रेस ने घोषणापत्र में अपनी प्राथमिकताओं को काफी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। घोषणा पत्र में समानता और सामाजिक न्याय उसके एजेंडे में सबसे ऊपर है। युवा बेरोजगारी, जीएसटी के कारण व्यापारियों की परेशानी, किसानों की परेशानी, अचानक और पूर्ण नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की बर्बादी, महिलाओं के खिलाफ अपराध, एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों को इंसाफ की बात शामिल है। उसने केंद्र सरकार द्वारा संवैधानिक संस्थानों के अपहरण का आरोप लगाया है। इस समय चुनाव आयोग, ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल जिस तरह हो रहा है, वो किसी से छिपा नहीं है।
खड़गे ने कहा- मोदी-शाह के पुरखों ने 1942 में "भारत छोड़ो" के दौरान, महात्मा गांधी के आवाहन व मौलाना आज़ाद की अध्यक्षता वाले आंदोलन का विरोध किया। सभी जानते है कि आपके पुरखों ने 1940's में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल, सिंध और NWFP में अपनी सरकार बनाई। खड़गे ने पूछा- क्या श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने तत्कालीन अंग्रेज़ी गवर्नर को ये नहीं लिखा कि 1942 के देश व कांग्रेस के भारत छोड़ो आंदोलन को कैसे दबाना चाहिए? और इसके लिए वे अंग्रज़ों का साथ देने के लिए तैयार है? मोदी-शाह व उनके मनोनीत अध्यक्ष आज कांग्रेस घोषणापत्र के बारे में उल्टी-सीधी भ्रांतियां फैला रहे हैं।
खड़गे ने पीएम मोदी का नाम लेते हुए कहा- मोदी जी के भाषणों में केवल आरएसएस की बू आती है, दिन पर दिन भाजपा की चुनावी हालत इतनी खस्ता होती जा रही है कि आरएसएस को अपने पुराने मित्र मुस्लिम लीग की याद सताने लगी है ! सच केवल एक है। कांग्रेस न्याय पत्र में हिंदुस्तान के 140 करोड़ लोगों की आशाओं व आकांक्षाओं की छाप है। उनकी सम्मिलित शक्ति, मोदी जी के 10 सालों के अन्याय काल का अंत करेगी।
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