कोरोना रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। कितने का नुक़सान हुआ, यह अभी तो अंदाज भी नहीं लगाया जा सकता। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और लोगों की रोज़ी रोटी का इतंजाम करने में ही ख़रबों रुपयों की ज़रूरत होगी।
पहले से ख़स्ताहाल भारतीय अर्थव्यवस्था इस लायक नहीं है कि बड़े पैमाने पर माँग-खपत का चक्र शुरू कर अर्थव्यवस्था को बहाल कर सके या करोड़ों बेरोज़गारों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम कर सके।
ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि देश के मंदिरों में जो अकूत संपत्ति पड़ी हुई है, उसका एक छोटा हिस्सा निकाल कर क्यों नहीं इस काम में लगाया जाए। मंदिरों के पास यह पैसा आम जनता का ही है जो चढ़ावा और दूसरे रूप में जमा कराया गया है।
अव्वल तो इन मंदिर प्रबंधनों को ख़ुद आगे आकर कुछ पैसा सरकार को देना चाहिए या अपने स्तर पर ही कोई राहत काम शुरू करना चाहिए। अब तक किसी ने यह काम नहीं शुरू किया। एक नज़र डालतें हैं सिर्फ़ कुछ मंदिरों पर, जिनके पास खरबों रुपये की संपत्ति पड़ी हुई है।
तिरुपति
आंध प्रदेश स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बने इस मंदिर में कामकाज के दिन रोज़ाना लगभग एक लाख और छुट्टियों के दिन दो लाख लोग दर्शन करने जाते हैं। इसके अलावा ब्रह्मोत्सव और दूसरे पवित्र मौक़ों पर यहां 4-5 लाख लोग पहुँचते हैं।
तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ने 2019 में ख़ुद कहा था कि उसके पास 9,000 किलोग्राम सोना का भंडार जमा है। इसने दो सरकारी बैंकों में इसी साल 7,235 किलोग्राम सोना एक गोल्ड स्कीम के तहत जमा करवाते हुए यह जानकारी सार्वजनिक की थी।
बोर्ड का यह भी कहना है कि उसने स्टेट बैंक के पास 5,387 किलो और इंडियन ओवरसीज़ बैंक के पास 1,938 किलो सोना जमा कर रखा है। इसके साथ ही उसने कहा था कि बोर्ड के पास भंडार में 1,934 किलोग्राम सोना पड़ा हुआ है।
मुंबई के सर्राफा बाज़ार में 14 मई, 2020 को सोने की कीमत 46,100 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। इस हिसाब से तिरुपति तिरुमला देवस्थानम के घोषित सोने की कीमत 41,490,000,000 रुपये है। यानी 4149 करोड़ रुपये।
चढ़ावा
मंदिर के हुंडी में रोज़ाना लगभग 2 करोड़ रुपए का चढ़ावा चढ़ता है, जो भक्त डालते हैं। छुट्टी के दिनों और ख़ास मौक़ों पर यह बढ़ कर एक दिन में 6 करोड़ रुपए तक हो जाता है। कुल मिला कर सालाना 1000 करोड़ रुपए से 1200 करोड़ रुपए तक की आमदनी इसी मद में होती है। इसके अलावा मनौती पूरी होने पर लोग बाल चढ़ाते हैं, जिसकी बिक्री से सालाना लगभग 500 करोड़ रुपए की आमदनी होती है। रोज़ाना लड्डू की बिक्री से भी करोड़ों की आमदनी होती है।
तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ने 2019-2020 में 3,116 करोड़ रुपए की कमाई इन मदों में होने की संभावना है। इसमें चढ़ावा के रूप में 1,231 करोड़ रुपए शामिल है। बैंकों में टीटीडी का फ़िक्स्ड डिपॉजिट इस साल 14,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का हो चुका है। ये तमाम आँकड़े ख़ुद टीटीडी ने दिए हैं।
पद्मनाभस्वामी मंदिर
केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर की कुल जायदाद लगभग 20 अरब डॉलर यानी 13609.9 करोड़ आँकी गई है। तिरुनवनंतपुरम के पास बना 16वीं सदी का यह मंदिर ख़बरों में तब आया जब इसकी एक तिजोरी 2018 में खोली गई।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फ़ोर्ब्स के अनुसार, इस तिजोरी में एक लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का सोना-चाँदी, जवाहरात वगैरह थे। लेकिन एक दूसरी तिजोरी भी है, जो नहीं खोली गई है। उसमें इससे भी अधिक की संपत्ति पड़ी हुई है।
फ़ोर्ब्स का यह भी कहना है कि इस मंदिर में सोने की मोटी दीवालें हैं, जो गुप्त हैं। उन दीवालों और दूसरी जायदाद का कोई अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। लेकिन वह रकम अरबों डॉलर की है, यह तो साफ़ है।
साईं बाबा मंदिर
साईं बाबा मंदिर में रोज़ाना औसतन दो करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ता है। श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रुबल अग्रवाल ने ज़ी न्यूज़ को बताया कि 17-19 अक्टूबर के बीच ट्रस्ट को 5.97 करोड़ रुपए का चढ़ावा भक्तों ने चढ़ाया। ट्रस्ट ख़ुद ने माना है कि भक्तों ने 2019 में 380 किलोग्राम सोना, 4,428 किलो चाँदी चढ़ाया। इसके अलावा डॉलर और पौंड समेत कई विदेशी मुद्राओं में चढ़ावा नियमित चढ़ता है। साल 2019 में बोर्ड को 1,800 करोड़ रुपए की कुल आमदनी हुई।
एनडीटीवी के अनुसार, ट्रस्ट ऑडिटर शरद गायकवाड़ ने 2010 में महाराष्ट्र राज्य विधानसभा में ऑडिट रिपोर्ट जमा की। इस रिपोर्ट के मुताबिक साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट के पास 24,41,640 करोड़ रुपए का सोना जमा है। इसके अलावा इसके पास 3.26 करोड़ रुपये की चाँदी भी है।
वैष्णो देवी मंदिर
बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैष्णो देवी ट्रस्ट के पास लगभग 1.20 टन सोना पड़ा हुआ है। इसके अलावा इसके पास चाँदी का बहुत बड़ा भंडार पड़ा हुआ है। एक मोटे अनुमान के अनुसार सालाना लगभग 600 करोड़ रुपए का चढ़ावा इस मंदिर में हर साल चढ़ाया जाता है। सिद्धि विनायक
मुंबई स्थित सिद्धि विनायक मंदिर के पास लगभग 158 किलोग्राम सोना जमा है। इसके आलावा मंदिर के पास 6.70 करोड़ डॉलर यानी 470 करोड़ रुपये का चढ़ावा जमा है। गुरुवयूर मंदिर
केरल स्थित गुरुवयूर मंदिर में एक मोटे के अनुसार लगभग 600 किलोग्राम सोना जमा है। इस मंदिर को सालाना लगभग 50 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। सबरीमला मंदिर
सबरीमला मंदिर विवादों में तो दूसरी वजहों से रहता है, पर इसकी कमाई भी करोड़ों में है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक ख़बर के मुताबिक, 2019 के नवंबर में 17 नंवबर को शुरू होने वाले सालाना उत्सव मंडलम मकरविलक्कू शुरू हुआ, उस समय तक एक महीने में मंदिर ट्रस्ट को 104.72 करोड़ रुपए की आमदनी हो चुकी थी। इस मंदिर की भी सालाना आय लगभग 1,000 करोड़ रुपये होती है। जगन्नाथ मंदिर
ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के भंडार गृह में चोरी की शिकायत मिलने के बाद बीते साल इस ओर लोगों का ध्यान गया। ख़ुद मंदिर प्रबंधन का मानना है कि इस मंदिर में 128 किलोग्राम सोना अभी भी पड़ा हुआ है। सु्प्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई जाँच के बात पता चला कि पुरी मंदिर ट्र्स्ट के पास 60,418 एकड़ ज़मीन पड़ी हुई है, । इसकी कीमत अरबों रुपये है।
यह तो कुछ मंदिर ही हैं। देश में ऐसे बहुत मंदिर है, जिनकी सालाना कमाई अरबों रुपये की है, जिनके पास खरबों की जायदाद पड़ी हुई।
इन मंदिर प्रबंधनों को चाहिए कि वे उसका सबकुछ नहीं, एक छोटा हिस्सा ही कोरोना से जूझ रहे ग़रीबों, दिहाड़ी और प्रवासी मजद़ूरों और छोटे व्यापारियों को दें। मंदिर प्रबंधन के लोग यह उम्मीद कर सकते हैं कि अर्थव्यवस्था सुधरी तो ये भक्त फिर मंदिरों में जाएंगे और उनका खजाना एक बार फिर भर सकता है।
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