मुसलमानों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर देश में चर्चा गायब हो गई है। नई रिपोर्ट- समकालीन भारत में मुसलमानों के लिए पॉजिटिव एक्शन पर पुनर्विचार रिपोर्ट इस चर्चा को फिर से वापस ला सकती है। इस रिपोर्ट को इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित किया है। यह रिपोर्ट पिछले 10 वर्षों में इस तरह का पहला विस्तृत पॉलिसी दस्तावेज है, जो मुसलमानों के लिए सकारात्मक कार्रवाई (Affirmative Action) की स्थिति का जायजा लेता है। इसमें भविष्य के लिए सात सूत्री रोडमैप भी पेश किया गया है। यह रिपोर्ट चार मुख्य थीम्स पर आधारित है। जिसमें सरकारी नीतियों, शिक्षा, आर्थिक स्थिति और मुस्लिम समुदाय की धारणाओं को गहराई से विश्लेषित करती है।
भारत के मुस्लिम आर्थिक-सामाजिक रूप से कहां खड़े हैं, नई रिपोर्ट में क्या है
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- सत्य ब्यूरो
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- 13 Mar, 2025
भारत के मुसलमानों की स्थिति पर एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। जिसका शीर्षक है ‘Rethinking Affirmative Action for Muslims in Contemporary India’ (समकालीन भारत में मुसलमानों के लिए पॉजिटिव एक्शन पर पुनर्विचार)। इस रिपोर्ट में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सरकार की नीतियों का मूल्यांकन किया गया है। जानियेः

भारत में मुस्लिम समुदाय के लिए सकारात्मक कार्रवाई की शुरुआत 2006 में हुई, जब यूपीए सरकार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 15 सूत्री अल्पसंख्यक कार्यक्रम शुरू किया था। इससे पहले, 2004 और 2005 में रंगनाथ मिश्रा आयोग और सच्चर समिति बनाई गई थी, जिन्होंने मुसलमानों को हाशिए पर मौजूद समुदाय के रूप में पहचान की थी और उनके लिए तमाम कदम उठाने की सिफारिश की थी। सच्चर समिति ने 2006 में और मिश्रा आयोग ने 2007 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। जिसने साफ शब्दों में कहा था कि भारत के मुसलमान हाशिये पर हैं, जिन्हें इस रूप में मान्यता देते हुए तमाम कदम उठाए जाएं। इसमें मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए नीतिगत पहल की जरूरत पर बल दिया गया था। इसके बाद 2013 में सच्चर मूल्यांकन समिति ने इन सिफारिशों के कार्यान्वयन की समीक्षा भी की थी।