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'यूएस में जिन भारतीयों के पास कागज नहीं, उनकी वैध वापसी का रास्ता खुला'

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत बिना दस्तावेज वाले भारतीय प्रवासियों की उनके गृह देश में "वैध वापसी" के लिए हमेशा तैयार रहा है। यह खबर पीटीआई ने दी है। एस जयशंकर ने यह भी कहा कि सरकार अभी भी अमेरिका से उन लोगों की पुष्टि करने की प्रक्रिया में है जिन्हें भारत भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अभी तक कोई संख्या तय नहीं हुई है। हालांकि इससे पहले 18000 से लेकर 20000 लोगों की घर वापसी की बात कही जा रही थी।

विदेश मंत्री ने पत्रकारों से कहा- "एक सरकार के रूप में, हम स्पष्ट रूप से कानून के पालन के बहुत समर्थक हैं क्योंकि हम ग्लोबल कार्यस्थल में विश्वास करते हैं। हम चाहते हैं कि भारतीय प्रतिभा और भारतीय कौशल को ग्लोबल स्तर पर अधिकतम अवसर मिले। हम इस पर बहुत दृढ़ हैं। भारत अवैध गतिशीलता और अवैध इमीग्रेशन का विरोध करता है।''

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मंत्री ने कहा कि भारत ने अमेरिका और अन्य देशों के साथ हमेशा यह कहा है कि यदि कोई भारतीय नागरिक अवैध अप्रवासी के रूप में मौजूद है, तो वैध प्रक्रियाओं के माध्यम से अपने देश में वापस आने के लिए उनका स्वागत है।

उन्होंने कहा कि अवैध अप्रवास को अन्य अवैध गतिविधियों से जोड़ा जा सकता है जो देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही हैं। इससे पहले, यह बताया गया था कि भारत अमेरिका में 1,80,000 भारतीयों को वापस लाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के साथ काम कर रहा है। ये ऐसे लोग हैं, जिनके पास या तो दस्तावेज नहीं हैं, या अपने वीजा अवधि से अधिक समय तक रुके हुए हैं।

    

जयशंकर ने इमीग्रेशन पर ट्रम्प की कार्रवाई पर कहा- “यह स्थिति अमेरिका के लिए कुछ अलग हटकर नहीं है। मैं समझता हूं कि अभी एक बहस चल रही है, और मामला संवेदनशील है। लेकिन इस मामले में हम बहुत सैद्धांतिक हैं। मैंने यूएस विदेश मंत्री रुबियो को यह स्पष्ट रूप से बता दिया है।''

जयशंकर ने कहा कि, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ द्विपक्षीय बातचीत के दौरान, मैंने बता दिया है कि इसका समाधान ढूंढना दोनों देशों के पारस्परिक हित में है जो कानूनी रूप से रिश्तों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। जयशंकर ने कहा कि "अगर वीज़ा पाने के लिए 400 दिनों का इंतजार करना पड़ता है, तो मुझे नहीं लगता कि इससे रिश्ते अच्छे से चलेंगे। रूबियो ने उस प्वाइंट पर भी ध्यान दिया।"

विवाद क्यों हो रहा हैः यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि जब तक अमेरिका में नवजात शिशु के पैरंट्स में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक या ग्रीन कार्ड धारक नहीं है, तब तक बच्चा अमेरिकी नागरिक नहीं होगा। यह एक ऐसा अधिकार है जो अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी लोगों को काफी समय से मिला हुआ है। ट्रम्प के फैसले का अमेरिका में अस्थायी वीजा स्थिति वाले सभी लोगों पर व्यापक असर पड़ेगा। इससे सबसे ज्यादा भारत, पाकिस्तान सहित तमाम एशियाई देशों के लोग प्रभावित हो सकते हैं। हजारों भारतीय अस्थायी वर्क वीजा (एच -1 बी और एल 1), आश्रित वीजा (एच 4), अध्ययन वीजा (एफ 1) पर हैं। लेकिन ट्रम्प का नया आदेश 30 दिन बाद यानी 20 फरवरी से अमेरिका में पैदा हुए सभी बच्चों पर लागू होगा।

अमेरिका में भारतीय मूल के 50 लाख से अधिक लोग हैं। लेकिन इसमें भारतीय-अमेरिकी और भारतीय दोनों शामिल हैं। हालांकि इस आदेश को न्यू हैम्पशायर और मैसाचुसेट्स की अदालतों में मंगलवार को ही चुनौती दी जा चुकी है और अगर अगले महीने अदालतें इस पर रोक लगा देती हैं तो ट्रम्प का आदेश प्रभावी नहीं होगा। विशेषज्ञ ट्रम्प के इस आदेश को अमेरिकी संविधान की मूल भावना के खिलाफ भी बता रहे हैं। इसलिए अदालत ट्रम्प के आदेश पर रोक जरूर लगाएगा। 

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ट्रम्प ने भले ही कई देशों से अवैध आव्रजन (इमीग्रेशन) को रोकने के लिए कड़ा उठाया है। लेकिन उसकी बेचैनी भारत में भी महसूस की जा रही है। मोदी सरकार इस बात को लेकर परेशान है कि यूएस से बड़ी तादाद में ऐसे भारतीयों की वापसी हो सकती है जो अवैध अप्रवासी श्रेणी में आते हैं। करीब 300,000 भारतीय छात्र अमेरिका में हैं, जो कि किसी भी विदेशी देश का सबसे बड़ा समूह हैं। कुल मिलाकर 20,000 से अधिक की स्थिति पर बादल मंडरा रहे हैं।
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क़मर वहीद नक़वी
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