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भारतीय पासपोर्ट की ताक़त बढ़ी या घटी, रैंकिंग में वर्ष 2013 से भी नीचे क्यों?

यदि आपको लगता है कि भारतीय पासपोर्ट की ताक़त पिछले 9-10 साल में मज़बूत हुई है तो आप ग़लत साबित हो सकते हैं। दुनिया भर में ख्यात हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के अनुसार भारत के पासपोर्ट की ताक़त 2013-2014 के बाद से कम हुई है। 2013 में भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग 74 और 2014 में 76 थी, वहीं अब 2024 में इसकी रैंकिंग गिरकर 80 पहुँच गई है।

इस रैंकिंग के क्या मायने हैं और पिछले 10 साल में भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग क्या रही है, यह जानने से पहले इस वर्ष आई हेनले पासपोर्ट इंडेक्स को जान लें। यह दुनिया के सबसे अधिक यात्रा के अनुकूल पासपोर्टों की रैंकिंग करता है। इसने 2024 के लिए अपनी सूची जारी की है। इसमें यूरोपीय देश फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन और एशिया के जापान और सिंगापुर नंबर एक स्थान पर हैं। यानी इन सभी देशों की रैंकिंग 1 है। 

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भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग मालदीव से नीचे

भारत अपनी पिछले वर्ष की 80वीं रैंकिंग पर कायम है। भारतीय पासपोर्ट रखने वालों को 62 गंतव्यों तक वीज़ा-मुक्त पहुंच प्राप्त है। लेकिन भारत से ज़्यादा मालदीव के पासपोर्ट वालों को वीजा फ्री देशों में पहुँच है। इस रैंकिंग में मालदीव 58 वें स्थान पर है। चीन 62, भूटान 87, म्यांमार 92, श्रीलंका 96, बांग्लादेश 97, और नेपाल 98वें स्थान पर है। सूचकांक में निचले स्थान पर पाकिस्तान (101), इराक (102), सीरिया (103) और अफगानिस्तान (104) हैं।

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स लंदन स्थित हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा तैयार की गई एक वार्षिक सूची है। यह दुनिया के सभी पासपोर्टों की मूल रैंकिंग होने का दावा करता है। सूचकांक में 227 गंतव्य और 199 पासपोर्ट शामिल हैं। इसमें विभिन्न पासपोर्टों को उन गंतव्यों की संख्या के अनुसार रैंक किया गया है, जहां उन पासपोर्टों के धारक बिना पूर्व वीजा के यात्रा कर सकते हैं या आगमन पर वीजा, विजिटर परमिट का लाभ उठा सकते हैं। 

पहले स्थान पर मौजूद देशों के पासपोर्ट रखने वालों को 194 वीज़ा-मुक्त गंतव्यों तक पहुंच प्राप्त है, जबकि 104 पर अंतिम स्थान वाले अफ़ग़ानिस्तान पासपोर्ट रखने वालों को उनमें से केवल 28 देशों तक वीज़ा-मुक्त पहुंच प्राप्त है।
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10 साल में भारत की रैंकिंग कैसी रही?

हाल के वर्षों में भारतीय पासपोर्ट की साख मजबूत होने, भारतीय पासपोर्ट धारकों की इज्जत बढ़ने जैसे दावे किए जाते रहे हैं। यहाँ तक कि बीजेपी समर्थक और नेता तक इसके दावे करते रहे हैं। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने टाइम्स नाउ को अपने साक्षात्कार में यह बयान दिया था, 'शायद, जो लोग विदेश में रहते हैं और जो लोग विदेश जाते-आते रहते हैं, आज भारत के पासपोर्ट की जो इज्जत है आज भारत के पासपोर्ट की जो ताकत है, शायद ही पहले कभी इतनी ताकत किसी ने अनुभव की होगी।' 

भले ही ऐसे दावे किए जाते रहे हों, लेकिन हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में साल दर साल रैंकिंग इस बात को सपोर्ट नहीं करती है। 2013 में भारत 74वें और 2014 में 76वें स्थान पर था। यह 2015 में 88वें, 2016 में 85वें, 2017 में 87वें, 2018 में 81वें, 2019 व 2020 में 82वें, 2021 में 81वें, 2022 में 87वें, 2023 और 2024 में 80वें स्थान पर रहा।

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क़मर वहीद नक़वी
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