बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
आगे
बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
आगे
गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
पीछे
गुजरात ड्रग्स सिंडिकेट का हब बनता जा रहा है। आखिर क्या वजह है कि मुंद्रा पोर्ट पर बार-बार ड्रग्स पकड़ी जा रही है और केंद्रीय जांच एजेंसियां मामले की तह तक नहीं पहुंच पा रही हैं। कांग्रेस ने सीधा आरोप लगा दिया है कि गुजरात को नशे की तरफ धकेलने में कुछ बीजेपी नेताओं का हाथ है। एकाध मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें बीजेपी नेता या उनके रिश्तेदार ड्रग्स के साथ पकड़े गए हैं।
अडानी समूह द्वारा नियंत्रित मुंद्रा पोर्ट पर सितंबर 2021 में 3000 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी गई।इसकी बाजार में कीमत 21000 करोड़ रुपये पुलिस ने बताई थी। इस साल मई में 56 किलोग्राम हेरोइन इसी पोर्ट पर मिली, जिसकी मार्केट वैल्यू 500 करोड़ रुपये है और अभी 22 जुलाई को फिर 75 किलोग्राम हेरोइन मुंद्रा बंदरगाह पर बरामद की गई, जिसकी कीमत 375 करोड़ रुपये है। ये आंकड़े अकेले मुंद्रा पोर्ट के हैं। गुजरात के अन्य इलाकों में भी मादक द्रव्य की बरामदगी जारी है।
It is impossible to believe that such big drug syndicates could work without any support from those in power. #BJPDrugGate pic.twitter.com/8ajXzxDywv
— Congress (@INCIndia) August 1, 2022
गुजरात तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान के रास्ते से ड्रग्स की तस्करी हो रही है। ये देश 'गोल्डन क्रिसेंट' के रूप में जाने जाते हैं, दुनिया के 80 फीसदी से अधिक हेरोइन का सोर्स इन्हीं देशों से है। पश्चिम एशिया से भारत की नजदीकी और गुजरात की सबसे बड़ी कोस्टल लाइन भारत में आने वाले मादक द्रव्य के लिए एक प्रमुख सुरक्षित परिवहन मार्ग है। गुजरात से इन ड्रग्स को में फिर पूरे देश में भेजा जाता है।
गुजरात में 1,640 किलोमीटर लंबी कोस्टल लाइन है, जो देश में सबसे लंबी है, जिसके तट पर 144 छोटे द्वीप हैं। इस विशाल समुद्र तट की रक्षा के लिए सिर्फ 22 समुद्री पुलिस स्टेशन और तीन इंटरसेप्टर नावें हैं। पर्याप्त सुरक्षा के अभाव ने गुजरात के तट को ड्रग माफियाओं का अड्डा बना दिया है।
मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय तक राज्य के सीएम रहे। अब वो पीएम हैं। उनसे ये सारी स्थितियां छिपी नहीं हैं। लेकिन कोस्टल लाइन पर सुरक्षा तंत्र को सरकार अभी तक मजबूत नहीं कर पाई है। हालांकि सरकार का यह कहना है कि जब मादक द्रव्य इतने बड़े पैमाने पर पकड़ा जा रहा है तो इसका मतलब है कि पर्याप्त सुरक्षा की जा रही है। लेकिन बरामदगी के मुकाबले तस्करी के जरिए आ रही नशीली वस्तुएं जिस तरह मार्केट में पहुंच रही हैं, वो ज्यादा हैं।
अभी जुलाई में मुंद्रा पोर्ट पर जो शिपमेंट पकड़ी गई। उसके तथ्य दिलचस्प हैं। सबसे पहले पंजाब पुलिस के पास सूचना आई की हेरोइन की बड़ी खेप खाड़ी देश से रवाना हो चुकी है। पंजाब पुलिस ने फौरन गुजरात पुलिस को सूचित किया। फिर यह सूचना गुजरात एटीएस को मिली। गुजरात एटीएस के मुताबिक शिपमेंट कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात में अजमान फ्री जोन से आई थी और यह 13 मई को मुंद्रा बंदरगाह पर पहुंची। कंटेनर लाइन्स, जिसका कच्छ के गांधीधाम में एक कार्यालय है, उसके नाम यह शिपमेंट थी। लेकिन कंटेनर लाइन्स का मुख्यालय कोलकाता में है। इस तथ्य से साफ है कि मादक द्रव्य के तार किस तरह जुड़े हुए हैं।
गुजरात में पकड़ी गई अब तक सबसे बड़ी हेरोइन खेप सितंबर 2021 में 3000 किलोग्राम थी। लेकिन अक्टूबर 2021 में इस मामले को बहुत ही आश्चर्यजनक तरीके से राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंप दिया गया। एनआईए इस मामले की जांच अब टेरर फंडिंग के नजरिए से कर रही है। यह मामला अब कहीं पीछे छूट गया है कि आखिर मुंद्रा पोर्ट पर बार-बार नशीले पदार्थ क्यों पकड़े जा रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय तस्कर इसे पोर्ट को किस नजरिए से सुरक्षित मान रहे हैं, अडानी समूह इस पोर्ट को नियंत्रित करता है, क्या उसकी भी कोई जिम्मेदारी है, क्या तमाम पोर्ट जब से प्राइवेट सेक्टर को मिले हैं, उससे मादक द्रव्य की तस्करी के मामले बढ़े हैं।
इन सवालों का जवाब खोजने की बजाय एनआईए को मामला सौंप दिया गया। एनआईए कब अपनी रिपोर्ट सामने लाएगी, क्या वो इसे रोक भी पाएगी, इन सवालों के जवाब आना बाकी हैं।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें