इस सिलसिले में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ पहली बैठक 8 फरवरी को हुई थी जिसमें किसान संगठनों के नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा हुई थी। किसानों नेताओं ने साफ कर दिया कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून सहित अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए मार्च की योजना बनाई गई है। लेकिन तीनों मंत्री सरकार की ओर से एमएसपी को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सके। तीनों मंत्री यह कहते हुए दिल्ली लौट गए कि वे उच्चस्तर पर बात करके दोबारा बैठक करेंगे। अब वही बैठक सोमवार को चंडीगढ़ में होना है।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर बड़े पैमाने पर बैरिकेडिंग की खबरों से बेपरवाह, बीकेयू (एकता-सिद्धूपुर), किसान मजदूर संघर्ष समिति, दोआबा किसान कल्याण समिति और किसान संघर्ष समिति कोट बुड्ढा सहित कृषि संघों के सदस्य, जिनका दोआबा में पर्याप्त आधार है, दिल्ली जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के हरप्रीत सिंह कोटली गजरान ने कहा, “हमारी यूनियन के सैकड़ों सदस्य विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे। हम रविवार की सुबह दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे। हमें शंभू बैरियर पर बैरिकेडिंग की कोई चिंता नहीं है। ऐसी बैरिकेडिंग 2020 में भी की गई थी, जिसे हमने तोड़ दिया। हम इस बार भी ऐसा करेंगे।”
किसान इस बात से भी सतर्क हैं कि उन्हें घर में नजरबंद किया जा सकता है या पुलिस द्वारा हिरासत में लिया जा सकता है। दोआबा किसान कल्याण समिति के प्रमुख हरसुलिंदर सिंह ने कहा, “वे पहले भी ऐसा करते रहे हैं। लेकिन हम उनसे उम्मीद करते हैं कि वे 12 फरवरी तक ऐसी किसी कार्रवाई का इंतजार करेंगे जब हमारी यूनियनें केंद्र के नेताओं से मिलेंगी। हमारी योजना 12 फरवरी की शाम को दिल्ली के लिए रवाना होने की है।
किसान संघर्ष कमेटी कोट बुड्ढा के रणजीत सिंह अलीवाल ने कहा, ''रविवार सुबह करीब 50 ट्रैक्टर-ट्रेलर दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी हैं।'' बीकेयू (एकता-सिद्धूपुर) के प्रमुख कुलविंदर सिंह मशियाना ने कहा कि 60 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रेलर, सभी सप्लाई से भरे हुए, 11 फरवरी को फिल्लौर, करतारपुर, जालंधर कैंट और नकोदर से दिल्ली के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।
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