देश और दुनिया को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का `आभारी’ होना चाहिए कि उन्होंने उस गुजरात की धरती से ऐसी प्रतिभाओं को जन्म दिया जिनमें से एक कहता है कि सन् 1982 में बन कर आई रिचर्ड एटनबरो की फिल्म `गांधी’ से पहले उनको दुनिया जानती ही नहीं थी। दूसरी प्रतिभा ने कुछ वर्षों पहले कहा था कि गांधी एक चतुर बनिया था। ध्यान देने की बात है कि यह वही गुजरात की धरती है जिसने उन्नीसवीं सदी में मोहनदास कर्मचंद गांधी और वल्लभभाई पटेल जैसे रत्नों को जन्म दिया था।
मोदी जी, पर गांधी तो फिल्म देखते ही नहीं थे
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- 30 May, 2024

महात्मा गांधी को जानने- न जानने पर पीएम मोदी ने एक घटिया बयान देकर देश में बहस को जन्म दे दिया है। मोदी को खुद देखना चाहिए उनके इस स्तरहीन बयान का सोशल मीडिया पर कितना जबरदस्त विरोध हुआ। तमाम चिंतक अपने विचार लेखों के माध्यम से प्रक्ट कर रहे हैं। मोदी कन्याकुमारी में जाकर चाहे जितना पश्चाताप करें लेकिन गांधी उनका पीछा नहीं छोड़ेंगे। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अरुण कुमार की इस टिप्पणी में गांधी के उन पहलुओं पर रोशनी डाली गई है कि कैसे विदेश के पत्रकार और नामी हस्तियां गांधी से मिलने को बेताब रहते थे। पढ़िएः
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।