केंद्रीय एजेंसी ईडी ने अब जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से पूछताछ की है। यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर बैंक से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है।
सीबीआई ने पहले जम्मू-कश्मीर बैंक के पूर्व अध्यक्ष मुश्ताक अहमद शेख और अन्य पर ऋण और निवेश की मंजूरी में कथित अनियमितताओं के लिए मामला दर्ज किया था। सीबीआई की इस कार्रवाई को आधार बनाकर ही ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जाँच शुरू की है। अब इस पूछताछ के मामले में उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने केंद्र पर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग करने का आरोप लगाया है।
JKNC Vice President Omar Abdullah was called by the ED to Delhi to appear before it today on the grounds that his attendance was necessary in connection with an investigation. Even though this exercise is political in nature he will cooperate as there is no wrongdoing on his part pic.twitter.com/ixYFgnWlHS
— JKNC (@JKNC_) April 7, 2022
नेशनल कॉन्फ़्रेंस ने ट्वीट कर कहा है, 'ईडी ने जेकेएनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को आज इस आधार पर पेश होने के लिए दिल्ली बुलाया कि जांच के सिलसिले में उनकी उपस्थिति ज़रूरी है। भले ही यह कार्रवाई राजनीतिक प्रकृति की है, वह सहयोग करेंगे क्योंकि उनकी ओर से कोई ग़लत काम नहीं हुआ है'।
बता दें कि ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए की जांच शुरू की।
सीबीआई ने 2021 में जम्मू-कश्मीर बैंक के तत्कालीन प्रबंधन के ख़िलाफ़ 2010 में मुंबई के बांद्रा कुर्ला में मेसर्स आकृति गोल्ड बिल्डर्स से एक संपत्ति खरीदने के लिए एक मामला दर्ज किया था। कहा गया है कि यह सुनियोजित साजिश के तहत कथित तौर पर निविदा प्रक्रिया की घोर अवहेलना कर 180 करोड़ रुपये की अत्यधिक दर पर खरीद की गई थी।'
केंद्रीय एजेंसियों पर विपक्षी दलों के नेताओं को परेशान करने के आरोप लगते रहे हैं। अभी हाल ही में महाराष्ट्र में शिवसेना नेता संजय राउत और उनके परिवार के ख़िलाफ़ ईडी ने संपत्ति कुर्क की थी। इसके बाद शिवसेना ने आरोप लगाया था कि ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक बदले के लिए किया जा रहा है।
एनसीपी नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ कार्रवाई किए जाने पर भी ईडी और सीबीआई पर ऐसे ही आरोप लगाए गए थे। ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के ख़िलाफ़ कार्रवाई किए जाने पर भी केंद्र पर ऐसे ही आरोप लगे थे।
सीबीआई को लेकर हाल में तो भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने एजेंसी की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि समय के साथ राजनीतिक कार्यकारिणी बदल जाएगी, लेकिन आप एक संस्था के रूप में स्थायी हैं।
सीजेआई रमना ने कहा था, 'समय के साथ राजनीतिक कार्यकारिणी बदलेगी। लेकिन आप एक संस्था के रूप में स्थायी हैं। अभेद्य बनें और स्वतंत्र रहें। अपनी सेवा के लिए एकजुटता की शपथ लें। आपकी बिरादरी ही आपकी ताक़त है।' उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में सीबीआई के पास जनता का अपार विश्वास था, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है।
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