कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क मसौदे पर विवाद थम नहीं रहा है। तमाम किसान संगठनों ने पहले ही इस मसौदे को खारिज कर दिया है। मोदी सरकार ने इस मसौदे पर तमाम राज्यों से भी राय मांगी थी। जाहिर है कि बीजेपी शासित राज्यों से उसे अपनी पसंद की राय मिल गई लेकिन विपक्ष शासित राज्यों ने इस मसौदे पर गहराई से नजर डाली। पंजाब चूंकि मुख्य कृषि प्रधान राज्य है, उसकी गंभीर राय की ज्यादा जरूरत थी। लेकिन पंजाब ने इस मसौदे को पूरी तरह खारिज कर दिया। उसने कहा कि यह मसौदा किसानों के खिलाफ है। इसलिए वो इस पर अपनी सहमति नहीं दे सकता। लेकिन अभी भी इस मसौदे के बारे में आम लोग दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। जबकि यह मुद्दा जितना किसानों से जुड़ा है, उतना ही आम लोगों से जुड़ा है।
चोर दरवाजे से फिर आ रहे हैं तीनों कृषि कानून, रोक पायेंगे किसान
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- 10 Jan, 2025
कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क मसौदे की चर्चा पंजाब के बहाने फिर शुरू हो गई है। विपक्ष शासित राज्यों में पंजाब पहला राज्य है जिसने इस मसौदे को पूरी तरह खारिज कर दिया है। पंजाब ने इसे खारिज करने का भी वही आधार चुना है, जिस पर किसान संगठन पहले ही तमाम तरह की आशंकाएं जता चुके हैं। मसौदे को पूरा पढ़े जाने के बाद उन तीन कृषि कानूनों की याद फिर से आ गई, जिन्हें मोदी सरकार लाई थी और बाद में किसान आंदोलन की वजह से वापस लेना पड़ा था। लेकिन उन्हीं तीन कानूनों को बदल कर नये मसौदे के रूप में पेश किया गया है।
