loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

जीत

गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर

हार

केंद्र ने दी पांच जजों की नियुक्ति को मंजूरी

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पांच नए जजों की नियुक्ती को मंजूरी दे दी। मंजूरी से कुछ घंटों पहले सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि नई नियुक्तियां जल्दी ही की जाएंगी। सूत्रों का मानना था कि नियुक्ति के संबंध देर रात या फिर इस सप्ताह के आखिर तक अधिसूचना जारी करने की उम्मीद की जा रही थी।
सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने वालों में जस्टिस पंकज मिथल (राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस), संजय करोल (पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस), पीवी संजय कुमार (मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस), अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (पटना हाईकोर्ट के जस्टिस) और मनोज मिश्रा (हाईकोर्ट के जस्टिस)।
सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए इन पांच जजों के नाम 13 दिसंबर से सरकार के पास लंबित थे। इसके अलावा कॉलेजियम ने दो और बचे नामों की सिफारिश भी फिछले हफ्ते कर दी है। नए नियुक्त हुए सभी जजों को सोमवार को भारत के सीजेआई धनंजय वाई चंद्रचूड़ द्वारा शपथ दिलाए जाने की उम्मीद है।  इन नियुक्तियों के साथ सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत  34 जजों में से इस समय 32 जज काम कर रहे होंगे।
ताजा ख़बरें
जजों की नियुक्ति के संबंध में यह सरकार का यह फैसला उसी दिन आया जब कोर्ट जजों की नियुक्तियों में हो रही देरी के लिए अवमानना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर, वेंकटरमानी ने जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बैंच को आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियां 2-3 दिनों के भीतर हो सकती हैं।  अटार्नी जनरल ने कोर्ट से आग्रह किया कि यह इन नियुक्तियों के लिए कोर्ट अपने आदेश में समय-सीमा निर्धारित न करे।
अटार्नी जनरल द्वारा दिये गये जवाब में, पीठ ने उनसे कहा कि नामों को स्पष्ट करने के लिए केंद्र द्वारा लिए गए समय में निरंतरता की कमी न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच अविश्वास पैदा कर रही थी। हालांकि बाद में कोर्ट ने अटार्नी जनरल के अनुरोध को मान लिया। लेकिन लेकिन वेंकटरमणि को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि 13 फरवरी को होने वाली मामले की अगली सुनवाई से पहले जजों को नियुक्त किया जाए। कोर्ट ने कहा कि हम आपको 10 दिन दे रहे हैं, और हम आपसे उम्मीद कर रहे हैं कि ये नियुक्तियां जल्द होंगी।
केंद्र द्वारा नामों को मंजूरी देने में हो रही अत्यधिक देरी के खिलाफ दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए, पीठ ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण और एक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित लगभग एक दर्जन से अधिक सिफारिशों को पूरा करने पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि स्थानांतरण में किसी भी प्रकार की देरी के परिणामस्वरूप प्रशासनिक और न्यायिक कार्रवाई हो सकती है जो कि सुखद नहीं है"।
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें
सरकार को "स्थानांतरण के मामलों में किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप" के खिलाफ चेतावनी देते हुए पीठ ने अटार्नी जनरल को कहा कि यदि सिफारिशों को जल्द लागू नहीं किया जाता है तो स्थानांतण के लिए सभी प्रस्तावित न्यायाधीशों का न्यायिक कार्य वापस लिया जा सकता है।  
यदि आप तबादलों को लंबित रखते हैं, तो यह किसी भी चीज़ से अधिक गंभीर है। यदि स्थानांतरण आदेश लागू नहीं होते हैं, तो आप हमसे क्या चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि हम उनसे काम वापस ले लें? हम नई नियुक्तियों मुद्दों को समझ सकते हैं, लेकिन आप तबादलों के मामलों को कैसे टाल सकते हैं? हम पहले ही यह कह चुके हैं, हम किसी भी तीसरे पक्ष को इस प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करने देंगे।
इस मुद्दे पर  याचिकाकर्ता बेंगलुरु एडवोकेट एसोसिएशन के वकील अमित पई ने न्यायपालिका के खिलाफ सरकारी पदाधिकारियों द्वारा जारी किए जा रहे बयानों को उजागर करने की मांग की। उन्होंने अपनी दलील में कहा कि उच्चतम न्यायालय पर हमला किया जा रहा है जोकि इसकी गरिमा को कम करने का प्रयास है।
अमित पई ने अपनी दलील में कहा कि उच्चतम न्यायालय पर हमला किया जा रहा है जोकि इसकी गरिमा को कम करने का प्रयास है।
बैंच ने जवाब देते हुए कहा कि 'हमें इसकी आदत है, न्यायाधीशों को एक सीमा से अधिक ऐसे हमलों से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह जिम्मेदार लोगों को देखना होगा कि क्या सही है और क्या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पीठ से अपने आदेश में यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया कि उच्च न्यायालयों को सरकार के पास लंबित नामों की मंजूरी का इंतजार नहीं करना चाहिए और जब भी रिक्तियां उत्पन्न होती हैं और अगले महीनों में उत्पन्न होने की उम्मीद है तो उन्हें नामों की सिफारिशें भेजते रहना चाहिए।
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने गुरुवार को संसद को बताया कि संवैधानिक अदालतों में जजों की वेकेंसी को भरने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है।  उन्होंने कहा कि देश भर के कई हाईकोर्ट खाली पदों को भरने के लिए सिफारिशें करने के लिए तय किये गये छह महीने की समय सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बीते 30 जनवरी तक 236 रिक्तियों (अगले 06 महीनों के दौरान 191 मौजूदा और 45 प्रत्याशित रिक्तियां) के संबंध में हाईकोर्ट कॉलेजियम से अभी तक सिफारिशें प्राप्त नहीं हुई हैं।  जो खाली पदों के भरने को सिफारिश करने के लिए छह महीने की अग्रिम समय सीमा का उल्लंघन है। रिजिजू ने उच्च सदन को यह भी सूचित किया कि केंद्र ने पिछले तीन वर्षों में हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की पदोन्नति से संबंधित 18 प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (एससीसी) को वापस किए, उन्होंने कहा कि कॉलेजियम ने उपरोक्त मामलों में से छह मामलों में फाइलों को दोबारा भेजा जिन्हें सरकार की तरफ से वापस कर दिया गया जबकि सात मामलों में उच्च न्यायालय कॉलेजियम से अतिरिक्त जानकारी मांगी गई थी और शेष पांच में नाम उच्च न्यायालयों को लौटाए गए।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें