यदि सीबीआई डायरेक्टर चुनने के लिए सेलेक्शन कमेटी की बैठक नहीं टाली जाती तो देश को पहली महिला सीबीआई डायरेक्टर मिल सकती थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। दरअसल, इस पद की दौड़ में वरिष्ठ महिला आईपीएस अफ़सर रीना मित्रा भी शामिल थीं। उनकी साफ़-सुथरी छवि थी। योग्यता के सभी मानदंडों पर वह खरी उतरती थीं। मीडिया रिपोर्टों में भी उनका पलड़ा सब पर भारी बताया जा रहा था। लेकिन सेलेक्शन कमेटी की बैठक एक दिन के लिए टल गई और रीना के रिटायर होने के एक दिन बाद ही फिर इसकी बैठक हो पायी। इसके साथ ही वह इस रेस से बाहर हो गईं और ऋषि कुमार शुक्ला सीबीआई के नए डायरेक्टर बना दिए गये।तो क्या बैठक को जानबूझकर टाला गया जिससे नियुक्ति की राह आसान हो सके? इस सवाल का जवाब शायद रीना मित्रा के ‘द टेलिग्राफ़’ में लिखे उनके अनुभवों से मिल जाए। रिटायर होने पर रीना ने यह लेख लिखा है। इस लेख में उन्होंने सेलेक्शन कमेटी की बैठक, अपनी योग्यता और दावेदारी का भी ज़िक्र किया है।