हरियाणा चुनाव से ऐन पहले किसानों पर विवादित बयान देने के लिए कंगना रनौत को बीजेपी से डाँट पड़ ही गई। माना ही जा रहा था कि चुनाव से ऐन पहले ऐसा बयान देकर कोई भी पार्टी अपना नुक़सान नहीं उठाना चाहेगी। वैसे, तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के दौरान भी किसानों के ख़िलाफ़ उनकी ऐसी ही आपत्तिजनक टिप्पणी आई थी, लेकिन उसके बावजूद उन्हें इस लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें बीजेपी ने मंडी सीट से टिकट दिया। अब वह सांसद हैं।
सांसद कंगना ने एक दिन पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन स्थल पर लाशें लटकती देखी गईं और बलात्कार हो रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि मोदी सरकार ने कड़े कदम नहीं उठाए होते तो किसानों के विरोध प्रदर्शन से भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा हो सकती थी।
उनके इस बयान की विपक्षी दलों ने तो आलोचना की ही, बीजेपी के नेता भी इससे नाराज़ हैं। कंगना की टिप्पणियों की उनकी अपनी पार्टी के भीतर ही आलोचना हुई है। पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता हरजीत ग्रेवाल ने कंगना को भड़काऊ बयान देने से बचने की सलाह दी। ग्रेवाल ने कहा, 'किसानों पर बोलना कंगना का काम नहीं है, कंगना का बयान निजी है। पीएम मोदी और भाजपा किसानों के हितैषी हैं।'
कंगना की टिप्पणी भाजपा के लिए ऐसे समय में आई है, जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव कुछ ही हफ्ते दूर हैं। उनकी टिप्पणी से बीजेपी के ख़िलाफ़ किसानों का गुस्सा और भड़क सकता है, जिससे कृषि-केंद्रित क्षेत्रों में पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
जानिए, कंगना को क्या मिली चेतावनी
इसी बीच अब बीजेपी की ओर से आधिकारिक बयान आया है। किसानों के विरोध प्रदर्शन पर कंगना रनौत की टिप्पणी से असहमति जताते हुए भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को कहा कि मंडी से लोकसभा सांसद को भविष्य में इस तरह के बयान न देने के निर्देश दिए गए हैं।
पार्टी ने कहा,
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किसान आंदोलन के संदर्भ में भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा दिया गया बयान पार्टी की राय नहीं है। भारतीय जनता पार्टी कंगना रनौत द्वारा दिए गए बयान से अपनी असहमति व्यक्त करती है। कंगना को पार्टी की नीति पर बयान देने की न तो अनुमति है और न ही वह अधिकृत हैं।
बीजेपी
पार्टी के बयान में कहा गया है, "भारतीय जनता पार्टी 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' और सामाजिक सद्भाव के सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
कांग्रेस की क्या थी आपत्ति?
बीजेपी की सफाई आने से पहले कंगना के इस बयान पर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि किसानों को बीजेपी नेताओं ने बहुत अपशब्द बोले हैं, अब उनकी सांसद अन्नदाताओं को हत्यारे और बलात्कारी भी बोल रही हैं- इसका जवाब हम नहीं - बस कुछ दिनों में हरियाणा देगा।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि अगर मोदी सरकार को लगता है कि विदेशी ताक़तें हमारे देश के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहे हैं, तो इसके बारे में क्या कदम उठाये जा रहे हैं? उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या यह कंगना जी की निजी राय है या यह बीजेपी और सरकार का मत है?
इसके साथ ही श्रीनेत ने यह भी सवाल पूछा है कि क्या बीजेपी और सरकार भी यह मानती है कि अमेरिका और चीन हमारे देश के अंदर अस्थिरता कर रहे हैं? उन्होंने कहा, 'लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े किए गए हैं - तो बीजेपी और सरकार को जवाब तो देना ही पड़ेगा। और अगर ऐसा नहीं है तो यह सांसद कान पकड़ कर माफ़ी माँगें!'
कांग्रेस के एक अन्य नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, "किसान आंदोलन में रेप हो रहे थे, लाशें लटकी थीं- कंगना राणावत भाजपा सांसद। क्या ये बयान सहने योग्य है, बीजेपी! आप भाजपा वाले सहमत हैं? मीडिया के मित्रों, क्या कंगना सही कह रही है? अगर नहीं तो इसकी मुख़ालिफ़त क्यों नहीं?"
वैसे, यह पहली बार नहीं है जब किसानों पर अपनी टिप्पणियों के लिए कंगना रनौत को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। 2020 में कृषि कानूनों के विरोध के बीच, उन्होंने पंजाब की एक महिला किसान की गलत पहचान करने और उसके बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के बाद बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था।
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