@CPBlr ವೇಶ್ಯಾವಾಟಿಕೆ ದಂಧೆಯಲ್ಲಿ ತೊಡಗಿರುವ ಕಿಡಿಗೇಡಿಯ ವಿರುದ್ಧ ನಿಮ್ಮ ಇಲಾಖೆ ಕಠಿಣ ಕ್ರಮ ಕೈಗೊಳ್ಳುವಲ್ಲಿ ತೋರಿದ ನಿರ್ಲಕ್ಷ್ಯದಿಂದ ಇಂದು ಸಮಾಜದಲ್ಲಿ ಅಶಾಂತಿ ಮೂಡಿಸಲು ಮುಂದಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಕಾಂಗ್ರೆಸ್ ಪಕ್ಷದ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದ ಅಂಗವಾಗಿ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ಹೋರಾಟಗಾರ ಟಿಪ್ಪು ಸುಲ್ತಾನ್ ಭಾವಚಿತ್ರವನ್ನು ಹರಿದಿರುವವರನ್ನು ಬಂಧಿಸಿ.. pic.twitter.com/KSQDQkVHy0
— ಸೂರ್ಯ ಮುಕುಂದರಾಜ್/Surya Mukundaraj (@suryamukundaraj) August 13, 2022
Why did Karnataka BJP govt drop First Prime Minister Jawaharlal Nehru's name from the list of Freedom fighters? Also Tippu Sultan's name is from State Freedom fighters' list.
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) August 14, 2022
Rewriting History @Karnataka_DIPR ? pic.twitter.com/GZlYDv4N53
किताबों से नाम हटायाः कर्नाटक की बीजेपी सरकार राज्य में पढ़ाई जाने वाली किताबों से टीपू सुल्तान को मिटाने में लगी है। उसने टाइगर ऑफ मैसूर टाइटल को हटा दिया है। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा है कि टीपू सुल्तान पर लिखे चैप्टर्स को किताबों से हटाने की योजना नहीं है लेकिन कल्पनाओं पर आधारित संदर्भों को हटाया जाएगा।
मठ का पुनर्निर्माणः इतिहास में ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जो ये साबित करते हैं कि टीपू सुल्तान ने हिंदुओं की मदद की। उनके मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया। उसके दरबार में लगभग सारे उच्च अधिकारी हिंदू ब्राह्मण थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है श्रंगेरी के मठ का पुनर्निर्माण।श्रंगेरी के मठ की हिंदू धर्म में बड़ी मान्यता है। आदि शंकराचार्य ने 800 वीं शताब्दी में जिन चार हिंदू पीठों की स्थापना की थी, श्रंगेरी का मठ उसमें से एक था। 1790 के आसपास मराठा सेना ने इस मठ को तहस-नहस कर दिया था। मूर्ति को तोड़ दिया था और सारा चढ़ावा लूट लिया था।
टीपू ने एक चिट्ठी में स्वामी सच्चिदानंद भारती तृतीय को लिखकर जवाब भेजा था कि जिन लोगों ने इस पवित्र स्थान के साथ पाप किया है उन्हें जल्दी ही उनके कुकर्मों की सजा मिलेगी। गुरुओं के साथ विश्वासघात का नतीजा यह होगा कि उनका पूरा परिवार बर्बाद हो जायेगा। टीपू सुल्तान ने श्रंगेरी मठ का पुनर्निर्माण कराया था।
येदियुरप्पा ने पहनी थी टीपू पगड़ीः इतिहास से इतर अगर देखें तो भी साफ़ दिखता है कि बीजेपी के नेताओं का कुछ साल पहले तक टीपू को देखने का नज़रिया अलग था। निवर्तमान मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने जब बीजेपी छोड़ी थी तो वह टीपू के स्मारक पर श्रद्धा सुमन चढ़ाने गये थे। टीपू एक ख़ास तरीक़े की पगड़ी पहनता था और तलवार रखता था। येदिरप्पा ने ऐसी ही पगड़ी पहनी थी और तलवार भी रखी थी।
शेट्टार भी कर चुके हैं तारीफ़
इतना ही नहीं, बीजेपी के एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार की भी ऐसी तसवीरें हैं जिनमें वह टीपू की पगड़ी पहने नज़र आते हैं। शेट्टार ने तो टीपू की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की थी। ‘क्रूसेडर फ़ॉर चेंज’ नाम की एक पत्रिका में शेट्टार ने लिखा था- “आधुनिक राज्य के उनके विचार, राजकाज चलाने का उनका तरीक़ा, उनकी सैनिक दक्षता, सुधार को लेकर उनका उत्साह, उन्हें एक ऐसे नायक के तौर पर स्थापित करता है जो अपने समय से बहुत आगे था...और इतिहास में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।’’रामनाथ कोविंद भी थे मुरीद
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2017 में कर्नाटक विधानसभा के संयुक्त सत्र में टीपू की जी भरकर तारीफ़ की थी। उन्होंने कहा था, “अंग्रेज़ों से लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए। वह विकास कार्यों में भी अग्रणी थे। साथ ही युद्ध में मैसूर राकेट के इस्तेमाल में भी उनका कोई सानी नहीं था।” बीजेपी के नेताओं ने कोविंद के भाषण पर लीपोपोती करने की कोशिश की थी। बीजेपी की तरफ़ से कहा गया था कि वह कांग्रेस सरकार का लिखा हुआ भाषण पढ़ रहे थे। जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने इसके जवाब में कहा था कि कोविंद ने अपना लिखा भाषण पढ़ा था।
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