भारत में जिस तरह से कुछ लोगों में सोशल मीडिया पर अंधाधुंध नफ़रत फैलाने और 'इसलामोफ़ोबिया' वाले पोस्ट डालने की बीमारी लगी है वह विदेशों में बसे कुछ भारतीयों में भी घर कर गई है। तभी तो संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में भारतीयों द्वारा ऐसे पोस्ट डाले जाने पर तीन लोगों को या तो नौकरी से निकाल दिया गया है या फिर निलंबित कर दिया गया है। यूएई में अब तक ऐसे क़रीब आधा दर्जन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है। उन पर सोशल मीडिया पर 'इसलामोफ़ोबिक' पोस्ट करने के आरोप हैं। मुसलिम देशों में किसी धर्म के ख़िलाफ़ ऐसे पोस्ट करने को 'इसलाम की निंदा करने वाला' माना जाता है।
'इसलामोफ़ोबिया' फैलाने पर यूएई में तीन भारतीयों की नौकरी गई
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- 4 May, 2020
संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में भारतीयों द्वारा 'इसलामोफ़ोबिया' वाले पोस्ट डाले जाने पर तीन लोगों को या तो नौकरी से निकाल दिया गया है या फिर निलंबित कर दिया गया है।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि लगातार चेतावनी के बाद भी लोग ऐसे आपत्तिजनक पोस्ट करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। ख़ासकर तब जब वे उसी देश में रहकर नौकरी करते हैं जहाँ क़रीब-क़रीब पूरी आबादी मुसलिमों की है और जहाँ संघीय संविधान घोषित करता है कि इसलाम देश का आधिकारिक धर्म है। हालाँकि, वह संविधान स्थापित रीति-रिवाज़ों के अनुसार धर्म की स्वतंत्रता देता है और सरकार आमतौर पर व्यवहार में इसका सम्मान करती है। लेकिन सरकार किसी धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी को स्वीकार नहीं करती है। दुनिया का कोई भी लोकतांत्रिक देश धर्म के आधार पर नफ़रत फैलाने को स्वीकार नहीं करेगा। भारत भी नहीं।