रघुवंश प्रसाद सिंह लालू की पीठ के पीछे खड़े होने वाले नेता थे। हिसाब के प्रोफेसर लेकिन शायद ही कभी राजनैतिक रिश्तों में हिसाब-किताब किया। शुरू से समाजवादी सोच के साथ चले और केंद्र में मंत्री रहते हुए नरेगा, जो बाद में मनरेगा बना, उसमें ऐसा काम किया कि मज़ाक उड़ाने के बावजूद आज की सत्ता उसी मनरेगा के सहारे देश के करोड़ों मज़दूरों की हितैषी बनने का दावा करती है।