रघुवंश प्रसाद सिंह लालू की पीठ के पीछे खड़े होने वाले नेता थे। हिसाब के प्रोफेसर लेकिन शायद ही कभी राजनैतिक रिश्तों में हिसाब-किताब किया। शुरू से समाजवादी सोच के साथ चले और केंद्र में मंत्री रहते हुए नरेगा, जो बाद में मनरेगा बना, उसमें ऐसा काम किया कि मज़ाक उड़ाने के बावजूद आज की सत्ता उसी मनरेगा के सहारे देश के करोड़ों मज़दूरों की हितैषी बनने का दावा करती है।
राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने के लिए रघुवंश ने छोड़ा आरजेडी का साथ?
- बिहार
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- समी अहमद
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- 10 Sep, 2020


समी अहमद
रघुवंश बाबू का चुनावी राजनीति में वोट के लिहाज से शायद आरजेडी को कोई बहुत बड़ा नुकसान न हो लेकिन इमेज के हिसाब से बहुत बड़ा धक्का है।
रघुवंश बाबू जब नाराज़ होते हैं तो होते हैं लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से अलग होने जैसा काम वे बेहद दुखी होकर ही कर सकते हैं। और इसलिए भी कि सम्मान देने के संभावित नामों में सबसे ऊपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम चल रहा है।