क्या बिहार विधान सभा चुनाव में जातीय समीकरण ही सब कुछ तय करेगा? यह एक बड़ा सवाल है। पन्द्रह साल पहले नीतीश कुमार सुशासन और विकास के नारे के साथ जीत के रथ पर सवार हुए थे। नीतीश ने जो कुछ किया, उसके लिए दस में से पाँच नंबर तो मिल ही जायेंगे। विपक्ष के नेता और नीतीश कुमार के लिए एक मात्र चुनौती तेजस्वी यादव बिहार को इसके आगे ले जाने का मंत्र अभी नहीं दे पाए हैं।

2015 के चुनावों में महागठबंधन के नेता नीतीश थे। इसलिए तेजस्वी के गुण दोष पर किसी की नज़र नहीं गयी। पाँच सालों में तेजस्वी का क़द इतना बड़ा नहीं हो पाया कि वह बिहार के लिए उम्मीद की एक नयी किरण बन पाएँ। कुल मिला कर उनकी पूँजी पिता का कमाया हुआ जातीय या सामाजिक जनधार भर है, जिसमें सेंध लग चुका है। तेजस्वी को अपने पिता के बनाए मुसलिम - यादव (एमवाई) गठबंधन पर अब भी भरोसा है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक