अरुणाचल प्रदेश के एक ज़िले में ऐसा फ़ैसला लिया गया है जिससे विवाद बढ़ सकता है। ईटानगर राजधानी क्षेत्र के ज़िला प्रशासन ने क्षेत्र के सभी होटल और रेस्तरां को उन साइनबोर्ड को हटाने के लिए एक अधिसूचना जारी की है जिनमें 'बीफ' शब्द लिखा है।
नाहरलगुन सब-डिवीजन के अतिरिक्त सहायक आयुक्त ने 13 जुलाई के आदेश में कहा है कि यह शब्द 18 जुलाई तक हटा लिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने यह फ़ैसला समुदाय में शांति बनाए रखने और समुदाय के भीतर धर्मनिरपेक्षता और भाईचारे की भावना को जारी रखने के लिए लिया है।
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार आदेश में कहा गया है कि उन होटलों के साइनबोर्ड पर बीफ शब्द कुछ समुदाय के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचा सकता है और समूहों के बीच दुश्मनी पैदा कर सकता है।
अतिरिक्त सहायक आयुक्त टैमो दादा के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि जिला प्रशासन ने 'संबंधित स्थानीय नागरिकों के एक समूह' से प्राप्त मौखिक शिकायत के बाद कार्रवाई की है। उन्होंने कहा है कि नाहरलागुन उप-मंडल में इस तरह के गोमांस भोजनालय कुकुरमुत्ते की तरह बन गए हैं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हालाँकि 'अतिरिक्त सहायक आयुक्त ने शिकायत दर्ज कराने वाले लोगों के समूह के बारे में कोई विवरण नहीं दिया।'
अरुणाचल प्रदेश के एक जिले में यह आदेश तब आया है जब पिछले कुछ वर्षों से अरुणाचल के तवांग क्षेत्र में प्रभावशाली स्थानीय लोगों के एक वर्ग द्वारा गोमांस बेचने का विरोध किया जाता रहा है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, उन लोगों की शिकायत यह भी रही है कि उन दुकानों को उनके क्षेत्र में 'बाहरी' लोग चला रहे थे। वैसे, राज्य में गोमांस खाना एक आम बात है। ईटानगर में 'बीफ होटल' लिखे हुए साइनबोर्ड मिलना एक आम बात है। जबकि राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गहरी पैठ है और यह पूर्वोत्तर में गोमांस खाने का विरोध करता है।
पिछले कुछ दिनों से वायरल आदेश पर प्रतिक्रिया में अरुणाचल क्रिश्चियन फोरम के अध्यक्ष टोको टेकी ने अरुणाचल टाइम्स से बातचीत में इस आदेश को गैर ज़रूरी बताया है।
बता दें कि बीफ का विवाद पाँच साल पहले मेघालय में काफी ज़्यादा हुआ था। तब केंद्र सरकार की ओर से काटने के लिए मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर बैन लगाने का न सिर्फ विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही थीं बल्कि बीजेपी में भी कोहराम मचा हुआ था। इस मुद्दे पर मेघालय के कई बीजेपी नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था।
केंद्र सरकार के फ़ैसले के बाद नॉर्थ गारो हिल्स के जिला प्रमुख बाचु मरक ने इस्तीफा दे दिया था। तब उन्होंने कहा था कि मैं गारो की भावनाओं से समझौता नहीं कर सकता। उन्होंने कहा था कि बीफ़ खाना हमारे कल्चर का हिस्सा है, पार्टी की नॉन-सेक्युलर सोच को किसी जाति पर थोपना सही नहीं है। उनसे पहले उन्होंने कहा था कि अगर मेघालय विधानसभा चुनाव में बीजेपी चुनाव जीतती है और सरकार बनाती है तो सूबे में बीफ की कीमत कम की जाएगी। उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह ही दक्षिण के गोवा जैसे राज्यों में भी बीफ का मामला उठता रहा है।
अपनी राय बतायें