मध्य प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे आ गये हैं। गैरदलीय आधार पर होने वाले जिला पंचायतों के इस चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल बीजेपी को काफी ‘नुक़सान’ पहुंचाया है। नतीजों के बाद सूबे के आधे के करीब जिलों में अपना अध्यक्ष और बोर्ड बनवाने के लिये कांग्रेस ताल ठोक कर मैदान में डट गई है।
मध्य प्रदेश में कुल 52 जिले हैं। पिछले चुनाव में जिलों की संख्या 51 थी। निवाड़ी को नया जिला बनाया गया है।
पिछले चुनाव में 51 में से 40 जिला पंचायतों में अपना बोर्ड (अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी) बनवाने में बीजेपी सफल रही थी। कांग्रेस को 11 जिलों की ही कमान मिल सकी थी।
शुक्रवार को घोषित हुए नतीजों के बाद कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने भोपाल, राजगढ़, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर, देवास, जबलपुर और झाबुआ में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। विजयी सदस्यों की संख्या के हिसाब से इन जिलों में कांग्रेस के समर्थन वाला बोर्ड बनना सुनिश्चित हो गया है।
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14 जिलों में कड़े मुकाबले के हालात
चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के साथ ही रीवा, शिवपुरी, सतना, टीकमगढ़, दमोह, धार, मंडला, मंदसौर, शहडोल, सीधी, आगर मालवा, खरगोन और छतरपुर जिला पंचायतों में बोर्ड के लिये कांटे के मुकाबले वाले हालात बने हैं।
इन 14 जिलों में पिछले चुनाव में शिवपुरी, खरगोन और छतरपुर जिला पंचायतों में कांग्रेस समर्थित सदस्यों का बोर्ड बना था। इस बार भी कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने इन तीनों जिलों (शिवपुरी, खरगोन और छतरपुर) में बोर्ड के गठन के लिये बीजेपी के समर्थन वाले सदस्यों के सामने कड़े मुकाबले के हालात पैदा कर दिए हैं।
जबकि बचे हुए 11 जिलों में बीजेपी समर्थित सदस्यों की जो संख्या आयी है, उसे बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन का नतीजा माना जा रहा है। इन सभी 11 जिलों में पिछले चुनाव में बीजेपी का बोर्ड बना था।
‘क्राइटेरिया ले डूबा’
मध्य प्रदेश बीजेपी के एक नेता ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘यह तो आगाज है। कल और उसके बाद 20 जुलाई को जब दलीय आधार पर होने वाले नगर निगम और नगर पालिका के चुनावों के नतीजे आयेंगे, तब पार्टी पूरी तरह से एक्सपोज होगी।’
उन्होंने संदेह जताया कि नगर निगम और नगर पालिका के चुनावों में भी पिछले चुनावों के मुकाबले नतीजे पार्टी के लिये निराशा पैदा करने वाले होंगे।
वे आगे कहते हैं, ‘कांग्रेस मुक्त भारत के जुनून में मध्य प्रदेश से लेकर देश तक में पार्टी को कांग्रेसमय-बीजेपी नुकसान पहुंचा रही है।’
उन्होंने बेबाकी से कहा, ‘दो सांसदों से 303 तक पहुंचने के बाद रणनीतिकारों को भ्रम हो गया है कि वे खून पसीने से दल को सींचने वालों को क्राइटेरिया और अन्य नामों के आधार पर किनारे करते हुए भी चुनाव की वैतरणी को पार कर लेंगे।’
मध्य प्रदेश में लंबे वक्त से बीजेपी को कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक जगदीश द्विवेदी भी त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों को बीजेपी के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं।
द्विवेदी का कहना है, ‘नतीजे बता रहे हैं, महंगाई, बेरोजगारी, प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार, हिन्दू-मुस्लिम राग और बीजेपी के भ्रम के खिलाफ जनता ने वोट किया है।’
द्विवेदी यह भी जोड़ते हैं, ‘पंचायत चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिये कुनैन की गालियों के समान कड़वे हैं। मगर दो दर्जन जिलों में कांग्रेस अपना बोर्ड बना पायेगी, इसे लेकर संदेह है।’
उन्होंने कहा, ‘बोर्ड जोड़तोड़, बाहुबल और हार्स ट्रेडिंग से बनते हैं। बीजेपी इस सारी कला में बेहद माहिर हो चुकी है। चूंकि सरकार में होने का फायदा भी मिलता है, लिहाजा फाइनल पिक्चर तो सभी जिलों में बोर्ड बनने के बाद ही स्पष्ट होगी।’
जनपद पंचायतों में भगवा हावी
मध्य प्रदेश की कुल 313 जनपद पंचायतों में चुनाव के जो नतीजे आये हैं, उसमें 160 पर बीजेपी समर्थित प्रत्याशियों ने परचम फहराया है, जबकि 64 पर कांग्रेस के समर्थन वाले उम्मीदवारों का दबदबा कायम हुआ है। बचे जनपदों में नतीजों के हिसाब से निर्दलीय उम्मीदवारों और किसी भी करवट बैठने वाले दलों के प्रत्याशियों की भूमिका बोर्ड के गठन में अहम होगी।
बीजेपी-कांग्रेस के दावे
मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का दावा है, त्रि-स्तरीय पंचायतों में वोटरों ने बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों को हाथों-हाथ लिया है। प्रचंड बहुमत हमारे समर्थन वाले प्रत्याशियों को मिला है। ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक भगवा ही भगवा है।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा, ‘जिला पंचायतों में बनने वाले बोर्ड बीजेपी के भ्रम को तोड़ देंगे। बीजेपी जोर से झूठ बोलती है, लेकिन जनता ने धीरे से उसका भ्रम इन चुनावों में तोड़ दिया है।’
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