loader

क्या योगी मोदी के उत्तराधिकारी होंगे?

अभी से योगी को मोदी का उत्तराधिकारी घोषित करने की होड़ टीवी चैनलों में शुरू हो गयी है। ये सवाल गृह मंत्री अमित शाह को परेशान भी करेगा और मोदी बाद की बीजेपी की राजनीति को प्रभावित करेगा। अभी तक शाह को मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा था।
आशुतोष

नरेंद्र मोदी का घोड़ा एक बार फिर दनदनाने लगा है। इस बार उनके साथ योगी आदित्यनाथ का भी घोड़ा दनदना रहा है। यूपी समेत उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की है और इतिहास रचने का काम किया है। यूपी में जहाँ पिछले सैंतीस साल में पहली बार किसी एक पार्टी की सरकार दुबारा आयी है, उत्तराखंड और मणिपुर में भी यही कमाल बीजेपी ने किया है, वहीं गोवा में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार बन रही है जो एक रिकॉर्ड है। पंजाब में उनका प्रदर्शन ज़रूर निराशाजनक रहा लेकिन वहाँ उनका जनाधार पहले से ही काफ़ी कमजोर रहा है और किसान आंदोलन ने उनकी रही सही कमर भी तोड़ दी थी।

बीजेपी की जीत में तीन चीजों का अहम योगदान रहा। 

  • एक, प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और संगठन की आक्रामकता। 
  • दो, हिंदुत्व की आवाज़ भले ही इस बार चुनाव में बहुत नहीं गूंजी लेकिन चुनावों ने ये साबित कर दिया है कि हिंदुत्व का सामाजिक आधार चारों राज्यों में बढ़ा है। और अब उसे पहले की तरह शोर करने की ज़रूरत नहीं है। 
  • तीन, सरकार की लाभकारी योजनाओं का लाभ भी बीजेपी को मिला है। ख़ासतौर पर बेहद ग़रीब और महामारी के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर हुए तबक़ों ने बीजेपी को अपना वोट देकर कृतज्ञता ज्ञापन किया है। 

ताज़ा ख़बरें

इस चुनाव में जीत ने बीजेपी को नये सिरे से संजीवनी दी है। जो लोग ये मान रहे थे कि महंगाई, बेरोज़गारी, और महामारी में अव्यवस्था से बीजेपी डबल इंजन की सरकारें अलोकप्रिय हो रही हैं, ऐसा अटकलों को अब विराम मिलेगा। और बीजेपी भी बंगाल चुनाव में करारी हार के बाद अनिश्चितता के समंदर में गोते लगा रही थी, अब निश्चिंत हो कर गुजरात और कर्नाटक के चुनाव की तैयारी कर पायेगी। साथ ही ज़्यादा विश्वास के साथ सरकारों को चला पायेगी।

इस चुनाव में सबका ध्यान यूपी की तरफ़ था। यूपी में बीजेपी के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया था। सरकार के कामकाज को लेकर असंतोष साफ़ दीख रहा था। लोग अपना ग़ुस्सा ज़ाहिर भी कर रहे थे। 

इस ग़ुस्से की गूंज पहले शाहीन बाग के आंदोलन में और बाद में किसान आंदोलन के रूप में बराबर देखने को मिली। छुट्टा पशुओं का भी एक बड़ा मामला था। गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगने के बाद जानवर जिस तरह भूख से खेत के खेत चर रहे हैं, उसने किसानों की नींद हराम कर रखी है। लोग त्रस्त आ चुके हैं। और इसका समाधान खोज रहे हैं। सरकारी नौकरियों में भर्ती बंद होने से भी युवाओं में आक्रोश पनप रहा है। ये ग़ुस्सा पिछले दिनों हिंसा के रूप में बिहार और इलाहाबाद में सड़कों पर भी फूटा। 

लोगों ने गंगा में अपनों की लाशों को बहते देखा। रेत में दबे शवों पर कपड़ा हटाते पुलिस वाले दिखे। ऑक्सीजन की कमी से आँखों के सामने तड़प-तड़प कर लोगों ने अपनों को मरते देखा। ये मंज़र वो ताउम्र नहीं भूल पायेंगे।

खुद बीजेपी के नेता और मंत्री अपनी सरकार से नाराज़ दिखे। यही कारण था कि चुनाव के ठीक पहले पिछड़ी जाति के कई नेता बीजेपी छोड़ कर समाजवादी पार्टी में या तो शामिल हो गये या फिर सहयोग करने का ऐलान कर बैठे। इनके बीच योगी आदित्यनाथ को हटा कर किसी और को यूपी का मुख्यमंत्री बनाने की कभी अटकलें भी खूब लगीं। ऐसे में ये सवाल पैदा हो गया था कि क्या योगी आदित्यनाथ फिर से सरकार में वापस आयेंगे या नहीं।

up poll results 2022 yogi adityanath stature after modi - Satya Hindi

योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी और वो भी भारी बहुमत से, योगी को मज़बूत कर गई। साथ ही उन्हें मोदी के बाद दूसरे सबसे बड़े जनाधार वाले नेता का रुतबा भी हासिल हुआ। मेरी नज़र में इस चुनाव की ये सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। मोदी के बाद योगी ऐसे दूसरे नेता हैं जिन्हें न केवल मज़बूत नेता माना जा रहा है बल्कि बीजेपी उनमें अपना भविष्य का नेता भी खोज सकती है। और ‘मोदी के बाद कौन’ की पहेली का हल भी कर सकती है। योगी अभी उम्र में पचास के पार नहीं हैं। उनके सामने लंबा राजनैतिक जीवन है। वो भगवाधारी हिंदुत्व के नेता हैं। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर के तौर पर उन्हें बाजेपी के दूसरे नेता के रूप में खुद के हिंदुत्व को साबित करने के लिये सबूत देने की ज़रूरत नहीं है। अब उनके साथ कड़क और चुनावी रूप में बेहद फड़कते हुए प्रशासक का तमग़ा भी जुड़ गया है। यानी मोदी की तरह उनमें हिंदुत्व भी है और हिंदुत्व प्लस की दूसरे खूबियाँ भी। यही कारण है कि अभी से उन्हें मोदी का उत्तराधिकारी घोषित करने की होड़ भी टीवी चैनलों में शुरू हो गयी।

विश्लेषण से ख़ास

ये सवाल गृह मंत्री अमित शाह को परेशान भी करेगा और मोदी बाद की बीजेपी की राजनीति को प्रभावित करेगा। अभी तक शाह को मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा था।अटल आडवाणी की जुगलबंदी की तरह मोदी शाह की जुगलबंदी की भी बात की जा रही थी। लेकिन योगी की जीत ने बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में सत्ता का संतुलन गड़बड़ा दिया है। योगी के हिंदुत्व के सामने शाह को दिक्कत होगी। शाह संगठन के आदमी हैं। वो आडवाणी की भूमिका में थे। योगी के जनाधार वाले नेता के तौर पर उभरने से कल्याण सिंह की भूमिका में आ गये हैं। कल्याण सिंह वाली ग़लती अगर योगी नहीं करते हैं तो योगी बीजेपी में एक बड़ी पारी खेल सकते हैं और प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना सच भी हो सकता है।

यूपी की जीत के पहले भी योगी अकेले ऐसे मुख्यमंत्री थे जिनकी चुनावों में देश के हर कोने से माँग हो रही थी। वो हैदराबाद से लेकर त्रिपुरा तक चुनाव प्रचार में जाते रहे। कार्यकर्ताओं में उनको लेकर भारी उत्साह भी देखा गया है। अब वो बुलडोज़र बाबा के नाम से मशहूर हो रहे हैं। ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि वो कैसे आगे की पारी खेलते हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
आशुतोष
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विश्लेषण से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें