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राहुल ने दिखाए तेवर, अपने पैरों पर खड़ी दिखी कांग्रेस 

कांग्रेस में मानो नयी जान फूंक दी गयी हो। हजारों कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर सड़क पर उतरते हुए राजधानी दिल्ली में अर्से बाद देखने को मिला। न सिर्फ गुटबाजी भूलकर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के लिए इकट्ठे हो गये, बल्कि लाठियां भी खाईं और पसलियां भी तुड़वाईं। 

सिर्फ दिल्ली में हजारों कार्यकर्ताओं ने भीषण गर्मी में पुलिस से भी भरपूर परिश्रम कराया और खुद भी लाठियां खाने से परहेज नहीं किया। देशभर में कांग्रेस नेताओं ने अलग तेवर दिखलाए। 

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भले ही पुलिस बर्बरता की निन्दा की है। लेकिन, कांग्रेस चाहे तो ईडी और दिल्ली पुलिस दोनों की तारीफ भी कर सकती है कि उसकी वजह से अधमरी कांग्रेस तनकर खड़ी दिख रही है। दिल्ली का कोई थाना नहीं था जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता हिरासत में नहीं थे। 

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खुद दिल्ली पुलिस ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि साढ़े पांच सौ कार्यकर्ता उसकी हिरासत में हैं। कांग्रेस ने हजारों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने का दावा किया है।

पुलिस से जूझते रहे नेता-कार्यकर्ता

कांग्रेस के नेताओं ने जिस तरीके से पुलिस की बर्बरता का सामना किया है वह कांग्रेस को आने वाले समय में संघर्ष के लिए तैयार करेगा। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को पुलिस ऐसे उठाकर ले गयी जैसे गैस सिलेंडर ले जाया जाता है। दिल्ली के प्रभारी पूर्व मंत्री शक्ति सिंह गोहिल को लाठियों से मारा गया। पूर्व गृहमंत्री व पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पर तीन हट्ठे-कट्ठे ऑफिसर इस तरह टूट पड़े कि उनकी पसली में हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया। उनका चश्मा 24 अकबर रोड के बाहर गिरा पड़ा मिला। 

National Herald case and ED summoned rahul gandhi - Satya Hindi

नव निर्वाचित राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी को पुलिस ने सड़क फेंक दिया गया जिससे उनका सिर जमीन पर जा लगा। उनकी भी पसली टूट गयी। 

राहुल गांधी के तेवर कहीं से कमजोर नजर नहीं आए। पैदल ईडी दफ्तर तक मार्च करने का उनका फैसला कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने वाला था। अगर वे गाड़ी में बैठकर निकल जाते तो शायद वे तस्वीरें देखने को नहीं मिलतीं जो उनके पैदल चलने के बाद देखने को मिली हैं। ईडी के दफ्तर से दूर भले ही कांग्रेस नेताओं और समर्थकों को रोक लिया गया, लेकिन प्रियंका गांधी उनके साथ रहीं। 

National Herald case and ED summoned rahul gandhi - Satya Hindi

राहुल ने भी पूछे ईडी से सवाल

ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों से उल्टे राहुल गांधी ने सवाल पूछा कि यहां केवल कांग्रेस नेताओं से ही पूछताछ होती है या किसी और को भी आप लोग बुलाते है? अधिकारियों ने इसका जवाब नहीं दिया, लेकिन यह सवाल राहुल गांधी के तेवर बताने के लिए काफी है। राहुल गांधी के पहुंचने पर कमरे में जांच अधिकारी के नहीं रहने का भी खास मतलब था मानो वे राहुल को आम आदमी से ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहते। 

मगर, राहुल ने भी जांच अधिकारी के आने तक खड़े रहने और चाय, कॉफी और यहां तक पानी का ऑफर भी ठुकरा कर यह संदेश दे दिया कि वे आम आदमी नहीं हैं। 10 घंटे की पूछताछ और फिर अगले दिन पूछताछ जारी रहने के लिए दोबारा निमंत्रण बताता है कि प्रवर्तन निदेशालय का इरादा क्या है। 

रॉबर्ट वाड्रा ने 15 बार ईडी के दफ्तर जाने और 23 हजार दस्तावेज साझा करने का दावा करते हुए कहा है कि जांच एजेंसियां राहुल गांधी को परेशान कर रही हैं। उन्होंने विश्वास जताया है कि राहुल बेदाग निकलेंगे।

राहुल गांधी से पूछताछ में ईडी को कितनी मनी और कितनी लॉन्ड्रिंग के बारे में पता चला है यह अभी नहीं मालूम लेकिन ईडी ने इतना तो दिखा दिया है कि वह राहुल गांधी के बाद इलाजरत सोनिया गांधी से भी आगे इसी तेवर में पूछताछ करने वाली है।

कांग्रेस के हित में है लामबंदी 

देश राहुल गांधी पर कार्रवाई को लेकर बंटा हुआ है इसमें कोई संदेह नहीं। मगर, राहुल गांधी पर कार्रवाई के नाम पर देश का बंटना भी कांग्रेस में जान फूंकने के लिए काफी है। ज्यादातर लोगों को नेशनल हेराल्ड केस की वास्तविकता समझ में नहीं आ रही है। बीजेपी इसे 90 करोड़ के बदले 2000 करोड़ रुपये हड़पने की गांधी परिवार की साजिश के तौर पर प्रचारित कर रही है। दूसरा पक्ष इस पर ठोस जवाब देने के बजाए ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की बात कह रहा है और राहुल गांधी के साथ खड़ा है। 

गोदी मीडिया पहले ही गांधी परिवार को भ्रष्ट घोषित कर चुका है। फिर भी आम लोगों को ठोस सुबूत का इंतज़ार है। अगर ऐसा नहीं होता तो देशभर में कांग्रेसी राहुल गांधी के समर्थन में इतनी जबरदस्त एकजुटता नहीं दिखा पाते।

इस घटना से एक बात साफ है कि या तो राहुल गांधी को बदनाम करने में बीजेपी सफल रहेगी या फिर राहुल गांधी बीजेपी को चुनौती देते हुए मजबूत नेता के रूप में उभरेंगे। 

नेतृत्व का मुद्दा भी सुलझ गया

कांग्रेस और खुद राहुल गांधी के लिए भी यह सुकून की बात है कि कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक चुनाव में अब अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी इकलौते विकल्प के रूप में दिखेंगे। बीजेपी का एक धड़ा जरूर ऐसा कहता है कि उन्हें राहुल गांधी जैसा विपक्ष का नेता मिले तो वे हर चुनाव में जीत हासिल करेंगे। लेकिन, वक्त के साथ-साथ जो बदलाव राहुल गांधी मे देखने को मिले हैं उससे ऐसा लगता है कि वे पप्पू वाली इमेज से बहुत आगे निकल गये हैं। 

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राजनीतिक रूप से मोदी सरकार और आरएसएस को लगातार चुनौती देते रहे राहुल गांधी की बातें लगातार सच साबित हुई हैं। कोरोना को लेकर देश को आगाह करने से लेकर देश में केरोसिन छिड़क दिए जाने तक के बयानों का बारीक विश्लेषण करें तो स्पष्ट हो जाता है कि अब राहुल गांधी के बयानों को देश गंभीरता से लेने लगा है। 

ऐसे में राहुल पर जुल्म करके या फिर गांधी परिवार को परेशान करके मोदी सरकार कोई लोकप्रियता हासिल कर सकेगी इसमें भारी संदेह है। राहुल को लेकर बीजेपी को अपनी सोच बदलने का समय आ गया है।

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प्रेम कुमार
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