यह नहीं कहा जा सकता कि डॉ मनमोहन सिंह अचानक इस दुनिया से चले गए। उन्होंने 92 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा। भरपूर आयु पाई और अपने जीवन को सार्थक और श्रेष्ठतम बनाकर बेहतरीन पारी खेली। उनके जीवन के सामने यह आकांक्षा निठल्ली ही लगती है कि काश! वे अपनी आयु का शतक जड़ पाते। हालांकि दुनिया में मृत्यु को पीछे ठेलने के प्रयास चल रहे हैं और उनको नाते अगर खुशी है तो आशंका भी है कि अगर युवाओं की संख्या कम होगी तो वृद्धों को पालेगा कौन।
काश! मनमोहन जैसी विद्वान और शालीन होती राजनीति
- विश्लेषण
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- 27 Dec, 2024

मनमोहन सिंह यह सवाल छोड़कर चले गये कि इतिहास उन्हें किस रूप में याद रखेगा। लेकिन उनके लिए सबसे उपयुक्त शब्द सज्जन है। इतिहास उन्हें सज्जन व्यक्ति के रूप में याद रखेगा। मनमोहन सिंह पर एक आरोप अक्सर यह लगाया जाता है कि वे पूंजीवाद और उदारीकरण के समर्थक थे। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी बता रहे हैं कि मनमोहन सिंह न तो अपने जीवन में शुरू से ही पूंजीवाद के समर्थक थे और न ही उदारीकरण के कट्टर योजनाकार। जानिए मनमोहन सिंह के बारे में तमाम तथ्यः
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।