दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आख़िर कार सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई । सत्रह महीने जेल में रहने के बाद अब वो खुली हवा में साँस लेंगे । कोर्ट ईडी की कार्रवाई से नाराज़ दिखा और उसने फटकार भी लगाई । और ये संदेश भी दिया कि इतने लंबे समय तक उन्हें जेल में नहीं रखा जाना चाहिये । कोर्ट निचली अदालत से भी ख़फ़ा नज़र आया । लेकिन कोर्ट की इन नाराज़गियों और टिप्पणियों का हासिल क्या ? क्या इससे सिसोदिया के जेल में बिताये दिन वापस आ जायेंगे या फिर ईडी के अधिकारी संविधान की क़सम खा अब ईमानदारी से काम करेंगे ? या फिर निचली अदालतें अब बिना राजनीतिक सत्ता के दबाव में आये, नियमतः ज़मानत देंगी और असाधारण परिस्थितियों में ही आरोपी को जेल की सैर करनी होगी ?