महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के करीब डेढ़ साल के इंतज़ार के बाद आए फ़ैसले ने इतना तो साफ़ कर ही दिया है कि अब महाराष्ट्र में केवल 'शिंदेशाही' चलेगी। सरकार में ही नहीं, आने वाले चुनाव में भी। इस फ़ैसले का महाराष्ट्र की राजनीति पर दूरगामी असर होगा। एक तरफ़ एकनाथ शिंदे अब सेफ हो गये हैं और अगले कुछ महीनों तक खुलकर खेल सकते हैं तो दूसरी तरफ़ उद्धव ठाकरे गुट को क़ानूनी लड़ाई से आगे लोगों तक अपनी बात पहुंचाने और सिम्पथी लेने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि अब अगला कोई भी बदलाव चुनाव के बाद ही होगा।