न्यायपालिका से जुड़े लोगों, मानवाधिकार संगठनों और दूसरे लोगों ने अंग्रेजी राज की सुरक्षा के लिए बनाए गए राजद्रोह क़ानून को आज भी बरक़रार रखने और सत्ता प्रतिष्ठान पर काबिज लोगों के द्वारा इसके दुरुपयोग पर कई बार चिंता जताई है। यह ऐसा क़ानून बन चुका है जिसका इस्तेमाल सरकार में बैठे लोग अपने विरोधियों को परेशान करने, धमकाने और उनका मुँह बंद कराने के लिए करते हैं। सरकार की नीतियों और फ़ैसलों के लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण विरोध को भी कुचलने का हथियार बन चुके राजद्रोह क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर ने चिंता जता कर इस पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
विरोधियों को कुचलने का हथियार बना राजद्रोह क़ानून, लोकतंत्र में इसकी ज़रूरत क्यों?
- विश्लेषण
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- 13 Oct, 2020

राजद्रोह का क़ानून अंग्रेज़ों के ज़माने में बना था ताकि भारतीयों की आवाज़ को दबाया जा सके और इसीलिए उसमें लिखा गया था कि 'सरकार के प्रति नफ़रत पैदा करने वाली’ किसी भी बात या हरकत के लिए राजद्रोह का मामला दायर किया जा सकता है।