राहुल गांधी लगातार और कई बार बहुत गुस्से में भी मोदी सरकार की आलोचना करते रहे। क्रोनी कैपिटलिज्म की आलोचना करते हुए उन्होंने भारत सरकार को 'हम दो हमारे दो' की सरकार बताया। मोदी सरकार के एक दशक के कार्यकाल में पूंजीवाद का बहुत एकांगी विकास हुआ। गुजराती उद्योगपति अम्बानी और अडानी की संपत्ति लगातार बढ़ती रही। जमीन, कोयला, अभ्रक, लीथियम आदि प्राकृतिक संसाधन एक के बाद एक अडानी अम्बानी को सौंप दिए गए। बिजली, गैस, पैट्रोलियम से लेकर रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा जैसे हजारों प्रोजेक्ट दो पूंजीपतियों के हवाले कर दिए गए। दर्जन भर से ज्यादा मोदी के नजदीकी पूंजीपति इस दरम्यान हजारों करोड़ रुपया लेकर विदेश भाग गए।
राहुल गांधी ने पिछले दो साल में दो यात्राएं कीं। पहले वे कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा पर निकले। इस यात्रा में राहुल गांधी ने किसान, दलित, आदिवासी , महिलाओं, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों से सीधा संवाद किया। इस यात्रा में राहुल गांधी ने देश को बखूबी समझा और यह पाया कि कमजोर वंचित मेहनतकश समाज के साथ मोदी सरकार और उसकी विचारधारा बहुत अन्याय कर रही है। पुनः इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने अपनी दूसरी यात्रा शुरू की। मणिपुर से मुम्बई तक हुई भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी ने गरीब, वंचित पीड़ित समाज के उत्थान का संकल्प किया।
कांग्रेस पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र इसी संकल्प का दस्तावेज है। इसमें सामाजिक न्याय के साथ-साथ आर्थिक न्याय की भी पुरजोर वकालत की गई है। एक तरफ दलित, आदिवासी, ओबीसी और महिलाओं को सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा का संकल्प कांग्रेस के घोषणा पत्र में है तो दूसरी तरफ किसानों और नौजवानों के लिए लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने की गारंटी प्रदान की गई है। किसानों के लिए एमएसपी लागू करने और ऋण माफी की गारंटी घोषणापत्र में मौजूद है। केंद्रीय सेवाओं में नौजवानों को 30 लाख सरकारी नौकरियों के अलावा 1 वर्ष की अप्रेंटिसशिप का भी प्रोग्राम इसमें है। अप्रेंटिसशिप के दौरान एक लाख रुपये नौजवानों को दिए जाएंगे। इसी तरह प्रत्येक गरीब परिवार की एक महिला को प्रतिवर्ष 1 लाख रुपया बैंक खाते में ट्रांसफर करने की गारंटी दी गई है। महत्वपूर्ण यह है कि ये योजनाएं बहुत कैलकुलेटिव और व्यावहारिक हैं। ये वादे 15 लाख खाते में आने और 2 करोड़ प्रति वर्ष रोजगार देने की तरह जुमले नहीं हैं।
जिस दिन कांग्रेस का यह घोषणा पत्र आया, भाजपा के खेमे में बेचैनी बढ़ गई। अभी यह घोषणा पत्र लोगों के सामने ठीक से आया भी नहीं था कि नरेंद्र मोदी ने इस पर सांप्रदायिक हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है। इतना सुनते ही कांग्रेस के समर्थकों ने ही नहीं बीजेपी के समर्थकों और नौजवानों ने भी इसे पढ़ा। इससे कांग्रेस को नुकसान होने के बजाय उल्टा उसके घोषणा पत्र का प्रचार हो गया।
रातोंरात नौजवानों, किसानों, दलितों, पिछड़ों तक यह घोषणा पत्र पहुंच गया। इससे कांग्रेस के जनाधार में इजाफा हुआ। जो कांग्रेस उत्तर भारत में चुनाव मैदान में ठहरी हुई नजर आ रही थी, घोषणा पत्र आने के बाद उसकी सक्रियता और चर्चा बढ़ गयी। जो मीडिया कांग्रेस को दरकिनार कर रही थी, मोदी के हमले के बाद उसके मेनिफेस्टो पर चर्चा करने लगी। पूरे देश में कांग्रेस की उम्मीदों को पंख लग गए। भाजपा के समर्थक भी राहुल गांधी के दृष्टिकोण के मुरीद हो गए। लोकसभा के इस चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र ने एक मजबूत प्रभाव स्थापित कर दिया है। मतदान पर इस घोषणा पत्र की स्पष्ट छाप दिखाई दे रही है।
जो बात मनमोहन सिंह ने कही थी, उसकी आज और भी ज्यादा जरूरत है क्योंकि असमानता की खाई पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। इसे छुपाने के लिए नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को डराया कि वे आपके मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेंगे। मुसलमान और मंगलसूत्र के जरिये मोदी चुनाव में ध्रुवीकरण ही नहीं कर रहे हैं बल्कि इस सच पर पर्दा डाल रहे हैं कि देश के एक फीसदी लोगों का 40 फीसदी संपत्ति पर कब्जा है और 81 करोड़ लोग मुफ्त राशन पर जी रहे हैं। अपने 'अरबपति मित्रों' की संपत्ति को बचाने के लिए नरेंद्र मोदी माताओं बहिनों के मंगलसूत्र की आड़ ले रहे हैं।
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