मोहल्ला क्लीनिक के बाद मोहल्ला बस। मोहल्लों तक सेवाओं की पहुंच बनाने का विज़न सामने रखकर अरविंद केजरीवाल सामने आए हैं। दिल्ली में 300 से ज्यादा मोहल्ला क्लीनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लेकर जरूर आई। 1.6 करोड़ लोगों को ओपीडी की सुविधा मिली है और वे अस्पताल जाने से बचे हैं। क्या मोहल्ला बसें भी परिवहन के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात करने वाली हैं? अगर ऐसा होता है तो आम आदमी पार्टी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में मोहल्ला बसें ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती हैं।
महिला सुरक्षा के ख्याल से मोहल्ला बसों का ज्यादा महत्व है। कानून व्यवस्था के मुद्दे को केंद्रीय चुनावी मुद्दा बनाने में जुटे अरविन्द केजरीवाल दरअसल मोहल्ला बसों के जरिए अपने मुद्दे पर ही जोर दे रहे हैं। दिल्ली में हर दिन तीन रेप और 51 एफआईआर बताते हैं कि दिल्ली कितनी असुरक्षित हो गयी है। जाहिर है सुरक्षित घर पहुंचना दिल्लीवासियों की ज़रूरत बन चुकी है।
महिलाओं को सुरक्षा देंगी मोहल्ला बसें
आम तौर पर अपराध की घटनाएं मुख्य सड़क से मोहल्ला तक के रास्ते में ही हुआ करती हैं। अगर महिलाओं को दिल्ली की मोहल्ला बस सेवा मुफ्त में मिलती है तो इसका मतलब यह भी होगा कि उन्हें मुफ्त में अपराध के खौफ से भी मुक्ति मिल रही है। मोहल्ला बस सेवाओं का महत्व इससे भी समझा जा सकता है। यह सेवा सिर्फ आम लोगों का वक्त ही नहीं बचाएंगी, बल्कि सुविधा और सुरक्षा भी साथ-साथ देंगी।
मोहल्ला बसें लंबाई में 9 मीटर की हैं और छोटे मोहल्लों में भी आवाजाही में सक्षम हैं। उन इलाकों में ये बसें जा सकती हैं जहां 12 मीटर की लंबी बसें नहीं जा सकतीं। मोहल्लों को परिवहन से जोड़कर सेवा के क्षेत्र में निश्चित रूप से केजरीवाल-आतिशी सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ी पहल कर दी है।
मोहल्ला बसें अगले दो हफ्ते में दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती नज़र आएंगी। आकार में छोटी इस बस में 23 सीटें और 13 लोगों के खड़े होने की व्यवस्था के साथ कुल 36 सवारियों को लेकर चल सकती हैं। इन बसों में छह सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रखी गई हैं यानी 25 फीसदी से ज्यादा सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
डीटीसी की आम बसें मुख्य सड़कों से होकर गुजरती हैं लेकिन मुख्य सड़कों से मोहल्ला तक पहुंचने के लिए आम लोगों को मशक्कत करनी पड़ती है। इसी कठिनाई को दूर करने की कोशिश के तौर पर मोहल्ला बसें शुरू की जा रही हैं।
हर रोज 1.20 लाख मुसाफिर कर सकेंगे मोहल्ले तक सफर
फिलहाल 140 बसों में 36 यात्रियों के हिसाब से एक ट्रिप में 5,040X2 =10,080 यात्रियों को उनके गंतव्य तक छोड़ा जा सकेगा। अगर ये बसें सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 16 घंटे में 12 ट्रिप भी लगाती हैं तो 1 लाख 20 हज़ार 960 यात्री एक दिन में सफर कर सकेंगे। मोहल्ला बसें एक ऐसे समय में शुरू हो रही हैं जब विधानसभा चुनाव करीब है। अगर मोहल्ला बसों की सुविधा ने प्रति दिन करीब सवा लाख लोगों को सहूलियत प्रदान की तो निश्चित रूप से यह दिल्ली विधानसभा चुनाव को भी बदलकर रख देगा। इस सेवा की काट खोजना प्रतिस्पर्धी पार्टियों के लिए बेहद मुश्किल होगा।
अरविंद केजरीवाल की सियासत को जहां विरोधी दल ‘रेवड़ी सियासत’ बताकर मजाक उड़ाते हैं वहीं स्वयं अरविंद केजरीवाल इस मजाक को भी गर्व के साथ स्वीकार करते हैं। आम लोगों का पैसा आम लोगों के लिए आम आदमी पार्टी के द्वारा- यही केजरीवाल ने सिद्धांत बना रखा है। सच तो यह है कि देशभर में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने अरविंद केजरीवाल की कथित रेवड़ी मॉडल को ही विभिन्न रूपों में स्वीकार भी किया है और लागू भी कर दिखाया है।
वोट भी जुटाएंगी मोहल्ला बसें
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की सरकार के योगदान को विरोधी भी मानते हैं। अरविंद केजरीवाल को इसका चुनावी लाभ भी मिलता रहा है। अब परिवहन के क्षेत्र में मोहल्ला बसों का प्रयोग भी मील का पत्थर साबित होगा, इसमें कोई संदेह नहीं। खास बात ये है कि महिलाओं के लिए बिल्कुल फ्री बस यात्रा को देखते हुए मोहल्ला बसों का महत्व उनके लिए ज्यादा है। जाहिर है कि मोहल्ला बसों से वोट जुटाने का काम भी स्वयं हो जाएगा। जिस तरह से दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर होती चली गयी है और अरविंद केजरीवाल लगातार इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं, उसे देखते हुए दिल्ली की महिलाओं के लिए मोहल्ला बसें सुकून देने वाली सुविधा साबित हो सकती है।
मोहल्ला बसें इलेक्ट्रिक वाली बसें हैं। लिहाजा प्रदूषण के नजरिए से भी यह स्वागतयोग्य सुविधा मानी जा रही है। मोहल्ला बसों का इंतज़ार दिल्लीवासियों को अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर निकलने के बाद से ही रहा है। अब उनका यह अरमान जल्द पूरा होने जा रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि जनता के अरमानों को पूरा करने वाली हर सुविधा सरकार के लिए उपलब्धि और सरकार चलाने वाली पार्टी के लिए गौरव की बात होती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसका फायदा लेने की कोशिश अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम जरूर करेगी। देखना ये है कि विरोधी दल उनके इस चुनावी ब्रह्मास्त्र का क्या जवाब लेकर आती हैं।
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